भारत के देशांतरीय विस्तार का यहाँ के समय पर क्या प्रभाव पड़ा है? बताएँ।
भारत की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए बताएँ कि हिंद महासागर से यह देश किस प्रकार लाभान्वित कर
गरत की स्थिति देश में एकता और सांस्कृतिक विशिष्टता बनाए रखने में किस प्रकार सहायक सिद्ध हुई है।
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हिन्द महासागर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा समुद्र है और पृथ्वी की सतह पर उपस्थित पानी का लगभग 20% भाग इसमें समाहित है। उत्तर में यह भारतीय उपमहाद्वीप से, पश्चिम में पूर्व अफ्रीका; पूर्व में हिन्दचीन, सुंदा द्वीप समूह और ऑस्ट्रेलिया, तथा दक्षिण में दक्षिणध्रुवीय महासागर से घिरा है। विश्व में केवल यही एक महासागर है जिसका नाम किसी देश के नाम यानी, हिन्दुस्तान (भारत) के नाम है।
वैश्विक रूप से परस्पर जुड़े समुद्रों के एक घटक हिंद महासागर को, अंध महासागर से 20° पूर्व देशांतर जो केप एगुलस से गुजरती है और प्रशांत महासागर से 146°55' पूर्व देशांतर पृथक करती हैं। हिंद महासागर की उत्तरी सीमा का निर्धारण फारस की खाड़ी में 30° उत्तर अक्षांश द्वारा होता है। हिंद महासागर की पृष्टधाराओं का परिसंचरण असममित है। अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के दक्षिणी सिरों पर इस महासागर की चौड़ाई करीब 10,000 किलोमीटर (6200 मील) है; और इसका क्षेत्रफल 73556000 वर्ग किलोमीटर (28400000 वर्ग मील) है जिसमें लाल सागर और फारस की खाड़ी शामिल हैं।
सागर में जल की कुल मात्रा 292,131,000 घन किलोमीटर (70086000 घन मील) होने का अनुमान है। हिन्द महासागर में स्थित मुख्य द्वीप हैं; मेडागास्कर जो विश्व का चौथा सबसे बड़ा द्वीप है, रीयूनियन द्वीप; कोमोरोस; सेशेल्स, मालदीव, मॉरिशस, श्रीलंका और इंडोनेशिया का द्वीपसमूह जो इस महासागर की पूर्वी सीमा का निर्धारण करते हैं। इसकी आकृति विकृत 'एम'की भांति है।यह तीन और से भू-वेष्टित महासागर है। इसकी सीमाओं पर प्राचीन पठारी भूखण्ड स्थित हैं जो इस बात का संकेत देते हैं कि इस महासागर में गर्त एवं खाइयों का अभाव है। बीसवीं शताब्दी तक हिंद महासागर अज्ञात महासागर के नाम से जाना जाता था, लेकिन 1960 से 1965 के बीच अंतरराष्ट्रीय हिंद महासागरीय अभियान (IIOE) के फलस्वरूप इस महासागर की तली के सम्बन्ध में अनेक विलक्षण तथ्य प्रकाश में आए।
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