भारत के विभिन्न राज्यों को में भूमि को निम्न करने से बचाने के लिए किसी भी 3 तरीकों का सुझाव दें और समझाएं
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मृदा संरक्षण (Soil conservation) से तात्पर्य उन विधियों से है, जो मृदा को अपने स्थान से हटने से रोकते हैं। संसार के विभिन्न क्षेत्रों में मृदा अपरदन को रोकने के लिए भिन्न-भिन्न विधियाँ अपनाई गई हैं। मृदा संरक्षण की विधियाँ हैं - वनों की रक्षा, वृक्षारोपण, बंध बनाना, भूमि उद्धार, बाढ़ नियंत्रण, अत्यधिक चराई पर रोक, पट्टीदार व सीढ़ीदार कृषि, समोच्चरेखीय जुताई तथा शस्यार्वतन।
मृदा एक बहुत ही महत्वपूर्ण संसाधन है। यह प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से विभिन्न प्रकार के जीवों का भरण-पोषण करती है। इसके अतिरिक्त, मृदा-निर्माण एक बहुत ही धीमी प्रक्रिया है। मृदा अपरदन की प्रक्रिया ने प्रकृति के इस अनूठे उपहार को केवल नष्ट ही नहीं किया है अपितु अनेक प्रकार की समस्याएँ भी पैदा कर दी है। मृदा अपरदन से बाढ़ें आती हैं। इन बाढ़ों से सड़कों व रेलमार्गों, पुलों, जल विद्युत परियोजनाओं, जलापूति और पम्पिंग केन्द्रों को काफी हानि पहुँचती है।
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मृदा संरक्षण की विधियाँ
- वन संरक्षण वनों के वृक्षों की अंधाधुंध कटाई मृदा अपरदन का प्रमुख कारण है। ...
- वृक्षारोपण नदी घाटियों, बंजर भूमियों तथा पहाड़ी ढालों पर वृक्ष लगाना मृदा संरक्षण की दूसरी विधि है। ...
- बाढ़ नियंत्रण ...
- नियोजित चराई ...
- बंध बनाना ...
- सीढ़ीदार खेत बनाना ...
- समोच्चरेखीय जुताई (कण्टूर जुताई) ...
- कृषि की पट्टीदार विधि अपनाना