भारत की विविधता में एकता
है', इसे स्पष्ट करो।
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भारत में विविधता में एकता है...
भारतीय समाज और भारत की संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता इसकी विविधता में एकता है। भारत अनेकता में एकता वाला देश है। यही भारत की सबसे बड़ी और श्रेष्ठ पहचान है। भारत एक विशाल उप-महाद्वीप है। जिसमें विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों संस्कृतियों वाले आने राज्य हैं, लेकिन इन सभी भाषा-संस्कृति में एक अद्भुत समन्वय की प्रक्रिया सदियों से चली आ रही है।
कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक हो या कच्छ से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक भारत की विभिन्न पृष्ठभूमि वाली विभिन्न संस्कृतियों वाले लोग होते हुए भी आपस में प्रेमभाव से रहे हैं। यही भारत की सबसे बड़ी विशेषता है। भारत में जितनी अधिक सांस्कृतिक विविधता देखने को मिलती है। पूरे विश्व के किसी भी देश में इतनी अधिक सांस्कृतिक विविधता नहीं देखने को मिलती और इस अनेकता में एकता भारत का सबसे विशिष्ट मूल मंत्र है जो दुनिया में एक अप्रतिम उदाहरण है।
धर्म, भाषा और रीति-रिवाजों की विविधता के होने के बावजूद इस विशाल देश में एक अद्भुत एकता व्याप्त रहती है। यहाँ के जीवन के प्रत्येक पहलू में विविधता विद्यमान है। यहाँ भारत में भाषाई, धार्मिक, जातीय, सास्कृतिक जैसी विभिन्न सरल एवं सहज रूप से देखी जा सकती हैं।
भारतीय समाज की एक खासियत रही है कि वह एक शिलात्मक समाज की तरह किसी एक परंपरा के पक्ष में बाकी सामाजिक समूहों के साथ भेदभाव या गलत व्यवहार नहीं करता बल्कि हर समूह को उसकी विशेषताओं के कारण सरल एवं सहज रूप में स्वीकार करता है। इसीलिए भारतीय संस्कृति को सामासिक संस्कृति कहा जाता है, जिसे आजकल बहुसंस्कृतिवाद के नाम से जाना जाता है।
भारतीय समाज की अपनी संस्कृति को जीवित रखने में उसकी यही विशेषता अद्वितीय बना देती है।
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Answer:
भारत एक विविधतापूर्ण देश है’। इसके विभिन्न भागों में भौगोलिक अवस्थाओं, निवासियों और उनकी संस्कृतियों में काफी अन्तर है । कुछ प्रदेश अफ्रीकी रेगिस्तानों जैसे तप्त और शुष्क हैं, तो कुछ ध्रुव प्रदेश की भांति ठण्डे है ।
कहीं वर्षा का अतिरेक है, तो कहीं उसका नितान्त अभाव है । तमिलनाडु, पंजाब और असम के निवासियों को एक साथ देखकर कोई उन्हें एक नस्ल या एक संस्कृति का अंग नहीं मान सकता । देश के निवासियों के अलग-अलग धर्म, विविधतापूर्ण भोजन और वस्त्र उतने ही भिन्न हैं, जितनी उनकी भाषाएं या बोलियां ।
इतनी और इस कोटि की विभिन्नता के बावजूद सम्पूर्ण भारत एकता के सूत्र में निबद्ध है । इस सूत्र की अनेक विधायें हैं, जिनकी जडें देश के सभी कोनों तक पल्लवित और पुष्पित हैं । बाहर विभिन्नताएं और विविधताएं भौतिक हैं, किन्तु भारतीयों के अभ्यन्तर में प्रवाहित एकता की अजस्र धारा भावनात्मक एवं रोगात्मक है । इसी ने देश के जन-मन को एकता के सूत्र में पिरो रखा है ।
भारत की एकता का यह भारतीय संस्कृति का स्तम्भ है । भारतीय संस्कृति अति प्राचीन है और वह अपनी विशिष्टताओं सहित विकसित होती रही है । इसके कुछ विशेष लक्षण हैं, जिन्होंने भारतीय एकता के सूत्र की जड़ों को और भी सुदृढ़ किया है ।