Social Sciences, asked by Dwaipayan3632, 1 year ago

भारत में 80 प्रतिशत किसान छोटे किसान हैं, जिन्हें खेती करने के लिए ऋण की जरूरत होती है।(क) बैंक छोटे किसानों को ऋण देने से क्यों हिचकिचा सकते हैं? (ख) वे दूसरे स्रोत कौन हैं, जिनसे छोटे किसान कर्ज ले सकते हैं। (ग) उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए कि किस तरह ऋण की शर्ते छोटे किसानों के प्रतिकूल हो सकती हैं।(घ) सुझाव दीजिए कि किस तरह छोटे किसानों को सस्ता ऋण उपलब्ध कराया जा सकता है।

Answers

Answered by tannu518
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(1) bank chotae kisanoo ko reen dene sae isliye hickichate hae kyuki bankoo ko pta hotha hae ki chote kisan ke pas ayae ka ekmatr strot uski bumi ka veh chota sa tukda hae jis per veh kheti kerta hae. ydi kisi karnvas uski fasal kharab hoo gyi toh veh muldann toh dur byaj bi nhi chuka paega. atae chote kisanoo ko reen dene mae bankoo ko apni rkem dubne ka jokhim rhta hae.

(2) ye kisan prayae stahniye sahukaroo yaa krisi vyapariyoo se karj lae skte hae.

(3) yaddi choota kisan apni jmin ke tukde ya ghr ko girvi rekhkar reen letha hae or durbagyevash veh uss reen ko lota nhi ska toh esi sithti mae uski halat bahut hi deyniyae ho jaegi. usae apni bumi ke tukde yaa gher sae bedhkal tk honna pad skta hae.

(4) chotae kisano ko reen dene ke liye gramin chetroo mae shkari smitiyaa kholi jani chaiye. inn sehkari smitiyo mae byaj ki daar km rakhi janni chaiye. yaadi kbi koi prakrtik apda ke karan fasal kharab hoo jati hae toh uss fasal avddi ke byaj ko sarkar dvara maff kr diya jana chaiye taki kisan karj jaal mae fasnae sae bachh ske.

Answered by nikitasingh79
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उत्तर :  

भारत में 80 प्रतिशत किसान छोटे किसान हैं, जिन्हें खेती करने के लिए ऋण की जरूरत होती है।

(क) बैंक छोटे किसानों को ऋण देने से हिचकिचा सकते हैं क्योंकि छोटे किसानों के पास ऋणाधार की कमी होती है। वह कर्ज के बदले किसी प्रकार की भूमि ,संपत्ति ,पशु आदि के ऋणाधार के रूप में उपलब्ध नहीं करा सकते हैं।

 

(ख) वे दूसरे स्रोत, जिनसे छोटे किसान कर्ज ले सकते हैं वे साहुकार, महाजन, व्यापारी, मालिक, रिश्तेदार, दोस्त आदि।

 

(ग) कर्ज़ की शर्तों उधार दाता और कर्जदार की प्रकृति पर निर्भर करती है। छोटे किसानों को ऋण से मदद मिलेगी कि नहीं परिस्थिति के खतरों और हानि होने पर सहयोग की संभावना पर निर्भर करता है। कई बार ऋण की शर्तें किसानों के प्रतिकूल हो सकती हैं।

उदाहरण के लिए एक छोटा किसान मोहन अपनी 3 एकड़ जमीन पर आलू उगाता है , इसके लिए वह एक साहूकार से ऋण लेता है, इस उम्मीद पर की फ़सल तैयार होने पर कर्ज़ अदा कर देगा लेकिन फ़सल पर कीटनाशकों के हमले से फ़सल बर्बाद हो जाती है। वह साहूकार का कर्ज़ लौटाने में असफल रहता है। एक साल में कर्ज़ की एक बड़ी रकम बन जाती है जिसके लिए उसे ज़मीन का कुछ ऐसा बेचना पड़ता है। इस प्रकार ऋण की शर्त  मोहन के प्रतिकूल गई । उसे अपनी जमीन खोनी पड़ी।

 

 

(घ)  

छोटे किसानों को सस्ता ऋण सहकारी समितियों, आत्मनिर्भर गुटों के माध्यम से उपलब्ध कराया जा सकता है।

बैंकों और सरकारी समितियों को ज्यादा कर्ज़ देना चाहिए जिससे लोगों की आय बढ़ सकती है । उन्हें अपनी गतिविधियां खासतौर से ग्रामीण इलाकों में बढ़ानी चाहिए।

अतः औपचारिक स्रोतों के ऋण का वितरण अधिक बराबरी वाला हो जिसे ग़रीब परिवार में सस्ते दिन का फ़ायदा उठा सके। सस्ते ऋण के लिए अधिकाधिक आत्मनिर्भर गुट बनाए जाने चाहिए। किसानों को इन गुटों से जुड़ना चाहिए ताकि उन्हें विभिन्न प्रकार के लक्ष्यों के लिए एक यथोचित ब्याज दर पर ऋण मिल जाए।

आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।

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