Sociology, asked by bityvi1, 6 months ago

भारत में कृत्रिम गर्भाधान किस सन में प्रारंभ हुआ​

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Answered by panditdhaneshwar404
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Answer:

गहन हिम्कृत वीर्य द्वारा पशुओं में गर्भाधान की विधि:

अधिक होने के कारण आजकल सम्पूर्ण विश्व में ज्यादातर गहन हिम्कृत वीर्य का ही प्रयोग होने लगा है| इसमें एक प्रशिक्षित व्यक्ति हिम्कृत वीर्य को पुन: द्रव अवथा में लाकर कृत्रिम गर्भाधान गन की सहायता से रेक्टोविजायनल विधि द्वारा गर्मायी हुई मादा की प्रजनन नली में डालता है|

वीर्य का द्रवीकरण (थाइंग करना):

हिम्कृत वीर्य को प्रयोग करने से पहले इसे सामान्य तापमान पर तरल अवस्था में लाया जाता है| इस क्रिया को थाइंग कहते हैं| इसमें एक बीकर में 37 डि०से० तापमान पर पानी लिया जाता है| हिम्कृत वीर्य के तृण को तरल नत्रजन कन्टेनर से निकल कर बीकर में रखे पानी में 15 से 30 सेकिंड के लिये रखते हैं| इसके बाद तृण को पानी से निकाल कर उसे सुखा लिया जाता है|

वीर्य तृण को कृ०ग० गन में भरना:

कृ०ग० गन एक 18-19 इंच लम्बी धातु की नली होती है जिसके अंदर एक पिस्टन लगा होता है| इसके एक सिरे पर प्लास्टिक का एक छल्ला होता है| थाइंग के पश्चात वीर्य तृण का फैक्टरी प्लग वाला सिरा गन के अंदर रखा जाता है तथा पोलिविनायल से सिल किये सिरे को गन से बाहर रखते हैं| इसके पश्चात गन से बाहर वाले सिरे को एक साफ कैँची अथवा स्ट्रा कटर की सहायता से समकोण पर काट देते हैं और एक प्लास्टिक की शीथ को कृ०ग० गन के ऊपर चढ़ाते हैं जिसे छल्ले के द्वारा अपने स्थान पर ठीक से क्स दिया जाता है| अब पिस्टन को थोड़ा सा ऊपर की ओर दबा कर वीर्य तृण से वीर्य के बचाव को चैक किया जाता है|

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