भारत में कोयले के वितरण का वर्णन कीजिए
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कोयला
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कोयला एक ठोस कार्बनिक पदार्थ है जिसको ईंधन के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। ऊर्जा के प्रमुख स्रोत के रूप में कोयला अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। कुल प्रयुक्त ऊर्जा का ३५% से ४०% भाग कोयलें से पाप्त होता हैं। कोयले से अन्य दहनशील तथा उपयोगी पदार्थ भी प्राप्त किए जाते हैं। ऊर्जा के अन्य स्रोतों में पेट्रोलियम तथा उसके उत्पाद का नाम सर्वोपरि है। विभिन्न प्रकार के कोयले में कार्बन की मात्रा अलग-अलग होती है।
(1) एंथ्रेसाइट(Anthracite)
कोयलाअवसादी चट्टान
एन्थ्रासाइट कोयलाबनावटमुख्यकार्बनसहायकहाइड्रोजन
सल्फर
ऑक्सीजन
नाइट्रोजन
यह सबसे उच्च गुणवत्ता वाला कोयला माना जाता है क्योंकि इसमें कार्बन की मात्रा 94 से 98 प्रतिशत तक पाई जाती है। यह कोयला मजबूत, चमकदार काला होता है। इसका प्रयोग घरों तथा व्यवसायों में स्पेस-हीटिंग के लिए किया जाता है।
(2) बिटुमिनस (Bituminous)
यह कोयला भी अच्छी गुणवत्ता वाला माल्ना जाता है। इसमें कार्बन की मात्रा 78 से 86 प्रतिशत तक पाई जाती है। यह एक ठोस अवसादी चट्टान है, जो काली या गहरी भूरी रंग की होती है। इस प्रकार के कोयले का उपयोग भाप तथा विद्युत संचालित ऊर्जा के इंजनों में होता है। इस कोयले से कोक का निर्माण भी किया जाता है।
(3) लिग्नाइट (Lignite)
यह कोयला भूरे रंग का होता है तथा यह स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक हानिकारक सिद्ध होता है। इसमें कार्बन की मात्रा 28 से 30 प्रतिशत तक होती है। इसका उपयोग विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।
(4) पीट (Peat)
यह कोयले के निर्माण से पहले की अवस्था होती है। इसमें कार्बन की मात्रा 27 प्रतिशत से भी कम होती है। तथा यह कोयला स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यधिक हानिकारक होता है।
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