भारत में प्रेस की भूमिका को नियंत्रित करने के लिए अंग्रेज सरकार द्वारा क्या - क्या प्रयास किए गए ?
Answers
Answer:
समाचार पत्रों का पत्रेक्षण अघिनियम, 1799 The censorship of press act, 1799
फ्रांसीसी आक्रमण के भय से लार्ड वेलेजली ने इसे लागू किया तथा सभी समाचार-पत्रों पर सेंसर लगा दिया। इस अधिनियम द्वारा सभी समाचार-पत्रों के लिये आवश्यक कर दिया गया कि वो अपने स्वामी, संपादक और मुद्रक का नाम स्पष्ट रूप से समाचार-पत्र में अंकित करें। इसके अतिरिक्त समाचार पत्रों को प्रकाशन के पूर्व सरकार के सचिव के पास पूर्व-पत्रेक्षण (Precensorship) के लिये समाचार-पत्रों को भेजना अनिवार्य बना दिया गया।
अनुज्ञप्ति नियम, 1823 Licensing Regulation, 1823
प्रतिक्रियावादी गवर्नर-जनरल जॉन एडम्स ने 1823 में इन नियमों को आरोपित किया। इस नियम के अनुसार, बिना अनुज्ञप्ति लिये प्रेस की स्थापना या उसका उपयोग दंडनीय अपराध माना गया। ये नियम, मुख्यतः उन समाचार-पत्रों के विरुद्ध आरोपित किये गये थे, जो या तो भारतीय भाषाओं में प्रकाशित होते थे या जिनके स्वामी भारतीय थे। इस नियम द्वारा राजा राममोहन राय की पत्रिका मिरात-उल-अखबार का प्रकाशन बंद करना पड़ा।
1835 का प्रेस अधिनियम या मेटकॉफ अधिनियम Press Act of 1835
कार्यवाहक गवर्नर-जनरल चार्ल्स मेटकॉफ ने भारतीय प्रेस के प्रति उदारवादी दृष्टिकोण अपनाया तथा 1823 के कुत्सित अनुज्ञप्ति नियमों को रद्द कर दिया। इस प्रयास के कारण मेटकॉफ को भारतीय समाचार-पत्रों के मुक्तिदाता की संज्ञा दी गयी।
1835 के इस नये प्रेस अधिनियम के अनुसार, प्रकाशक या मुद्रक को केवल प्रकाशन के स्थान की निश्चित सूचना ही सरकार को देनी थी और वह आसानी से अपना कार्य कर सकता था। यह कानून 1856 तक चलता रहा तथा इस अवधि में देश में समाचार-पत्रों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुयी।
अनुज्ञप्ति अघिनियम, 1857 Licensing Act, 1857
1857 के विद्रोह से उत्पन्न हुई आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिये 1857 के अनुज्ञप्ति अधिनियम से अनुज्ञप्ति व्यवस्था पुनः लागू कर दी गयी। इस अधिनियम के तहत बिना अनुज्ञप्ति के मुद्रणालय रखना और उसका प्रयोग करना अवैध घोषित कर दिया गया। सरकार की यह अधिकार दे दिया गया कि वह किसी समाचार-पत्र को किसी समय अनुज्ञप्ति दे सकती थी या उसकी अनुज्ञप्ति को रद्द कर सकती थी। अधिनियम द्वारा सरकार को यह अधिकार भी दिया गया कि वह समाचार-पत्र के साथ ही किसी पुस्तक, पत्रिका, जर्नल या अन्य प्रकाशित सामग्री पर प्रतिबंध लगा सकती थी। यद्यपि यह एक संकटकालीन अधिनियम था तथा इसकी अवधि केवल एक वर्ष थी।
पंजीकरण अधिनियम, 1867 Registration Act,1867
इस अधिनियम द्वारा मेटकाफ के अधिनियम को परिवर्तित कर दिया गे। इस अधिनियम का उद्देश्य, प्रेस एवं समाचार-पत्रों पर प्रतिबंध लगाना नहीं अपितु उन्हें नियमित करना था। अब यह आवश्यक बना दिया कि किसी भी मुद्रित सामग्री पर मुद्रक प्रकाशक तथा मुद्रण स्थान के नाम का उल्लेख करना अनिवार्य होगा। इसके अतिरिक्त प्रकाशन के एक माह के अंदर पुस्तक की एक निःशुल्क प्रति स्थानीय सरकार को देना आवश्यक था।