भारत में प्रजाति तथा जाति के संबंधों पर हरबर्ट रिज़ले तथा जी.एस. घूर्य की स्थिति की रूपरेखा दें।
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जाति व्यवस्था भारतीय समाज की महत्वपूर्ण विशेषता तथा उसका अभिन्न अंग है। जाति व्यवस्था एक संबंधों की व्यवस्था है जिसमें विवाह से लेकर पेशे तक सभी कुछ पूर्व निश्चित तथा जन्म पर आधारित होता है । व्यक्ति जिस जाति में जन्म लेता है उसे तमाम आयु उस जाति में रहना पड़ता है। वह योग्यता होते हुए भी उसे परिवर्तित नहीं कर सकता। शब्द जाति की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं जैसे की जन्म पर आधारित सदस्यता, पेशे जन्म पर आधारित, जाति के अंदर विवाह करवाना, बाद से प्रतिबंधित इत्यादि। बहुत से विद्वानों ने जाति की परिभाषा दी है।
हरबर्ट रिज़ले के अनुसार "जाति परिवारों व परिवारों के समूह का संकलन है, जिसका एक समान नाम होता है व जो काल्पनिक पूर्वज या देवी के वंशज होने का दावा करते हैं। जो समाज पैतृक कार्य अपनाते हैं तथा वह विचारक जो इस विषय में राय देने योग्य हैं , इसको समजाति समुदाय मानते हैं।"
जी.एस. घूर्य के अनुसार "जाति प्रथा इतनी जटिल है कि इसकी परिभाषा नहीं दी जा सकती है । इसलिए उन्होंने इसकी 6 विशेषताएं दी है तथा वह हैं - समाज का भिन्न-भिन्न भागों में विभाजन, भिन्न-भिन्न भागों में पद क्रम, सामाजिक मेलजोल तथा खाने-पीने पर पाबंदियां , भिन्न-भिन्न जातियों के नागरिक व धार्मिक अयोग्यताएं व विशेषाधिकार, मनमर्जी का कार्य अपनाने की पाबंदी तथा विवाह संबंधी पाबंदियां।
इसी प्रकार हरबर्ट रिज़ले तथा जी.एस. घूर्य ने प्रजाति के संबंध में अपने विचार दिए हैं । हमारे देश भारत में आर्य प्रजाति के लोग रहते हैं , चाहे और प्रजातियों के लोग भी यहां पर रहते हैं जी.एस. घूर्य तथा हरबर्ट रिज़ले दोनों ही एक बात पर समझते थे कि, चाहे भारत में विभिन्न प्रजातियों के लोग रहते हैं परंतु फिर वह एक दूसरे से मिल जुल एकता तथा सद्भावना के साथ रहते हैं।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
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