भारत में शिक्षा |Essay on Education in India in Hindi
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"भारत में शिक्षा"
भर्तरिहरी ने अपनी नीति शतक में विद्या की महिमा का वर्णन करते हुए कहा है कि “विद्या से हीन व्यक्ति सींग रहित साक्षात पशु है” । शिक्षा के बिना मानव का जीवन अधूरा है। शिक्षा के क्षेत्र में भारत हमेशा सहित अग्रणी रहा है।
प्राचीन भारत में शिक्षा-> प्राचीन काल में शिक्षा गुरुकुलम में हुआ करती थी विद्यार्थी गुरुकुल में ही रहकर शिक्षा ग्रहण किया करते थे। प्राचीन भारत में बहुत से प्रसिद्ध गुरुकुल थे जैसे- तक्षशिला विश्वविद्यालय, उज्जैन विश्वविद्यालय, वल्लभी विश्वविद्यालय अमरावती विश्वविद्यालय इत्यादि।
इनमें सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध विश्वविद्यालय तक्षशिला या तक्षशिला था। यह विश्वविद्यालय विशेष रूप से विज्ञान, चिकित्सा शास्त्र और युद्ध कलाओं के लिए मशहूर था। यहां भारत के साथ-साथ दूसरे देशों के विद्यार्थी व शिक्षा ग्रहण करने आते थे। तक्षशिला का स्नातक होना उस समय सम्मान और विशेष योग्यता की बात समझ जाती थी, जो चिकित्सक यहां से आयुर्विज्ञान विद्यालय से पढ़ कर निकलते थे उनकी बड़ी कदर होती थी।
आधुनिक भारत में शिक्षा-> भारत में शिक्षा के विकास में गैर सरकारी संस्थाओं की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है, विभिन्न धार्मिक, सामाजिक और शैक्षिक संगठनों ने शिक्षा को बढ़ाया। स्वतंत्रता के पश्चात सरकार ने इस प्रकार से शिक्षा का सरकारीकरण किया जो बहुत ही आवश्यक था। शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए अनेक योजनाएं लाई गई और बदली गई
स्कूली शिक्षा में गुणात्मक परिवर्तन लाने और उसका विकास करने के लिए सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान प्रारंभ किया। सर्व शिक्षा अभियान सार्वभौमिक प्रारंभिक शिक्षा के लक्ष्य को प्राप्त करने वाला एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है, 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को शिक्षित करना ही इसका लक्ष्य था, इसे अब :राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान” में बदल दिया है, इसमें 6 से 16 वर्ष तक के छात्रों को इसके अंदर रखा गया है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत भारत के सभी सरकारी स्कूलों में बच्चों को दोपहर का खाना, वर्दी तथा निशुल्क पुस्तकें दी जाती हैं। अध्यापकों को नई विधियों से पढ़ाने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
उपसंहार-> इतनी सारी सुविधाएं होने के बावजूद सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या निरंतर घटती जा रही है और निजी स्कूलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। शिक्षा का क्षेत्र आज धनार्जन का अड्डा बन गया है। सरकारी स्कूलों में राजनीतिक हस्तक्षेप जायदा है, अध्यापक के तबादलों का खेल जारी है। अधिकतर स्कूलों में अध्यापक के पद रिक्त हैं। सरकार को इस और अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है तभी शिक्षा के क्षेत्र में सुधार संभव है।