Sociology, asked by mdarman8985, 11 months ago

भारत में शिक्षित बेरोजगारी के कारणों की व्याख्या कीजिए।

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Answered by Anonymous
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__________ शिक्षित बेरोजगारी____________

===> शिक्षित बेरोजगारी भारत की आर्थिक समस्याओं की प्रमुख समस्या है। यह स्थिति हमारे आर्थिक विकास में बाधक है। शिक्षित वर्ग में बेरोजगारी अलग किस्म की बेरोजगारी है।शिक्षित बेरोजगारी(educated unemployment) भारत की आर्थिक समस्याओं की प्रमुख समस्या है। यह स्थिति हमारे आर्थिक विकास में बाधक है। शिक्षित वर्ग में बेरोजगारी अलग किस्म की बेरोजगारी है।

शिक्षित बेरोजगारी(educated unemployment) भारत की आर्थिक समस्याओं की प्रमुख समस्या है। यह स्थिति हमारे आर्थिक विकास में बाधक है। शिक्षित वर्ग में बेरोजगारी अलग किस्म की बेरोजगारी है।जैसे कोई भी व्यक्ति वह स्नातक, स्नातकोत्तर पढ़ाई कर लेते है और वह बेरोजगार हो जाते है तो इसी स्थिति को शिक्षित बेरोजगारी कहाँ जाता है।

शिक्षित बेरोजगारी(educated unemployment) भारत की आर्थिक समस्याओं की प्रमुख समस्या है। यह स्थिति हमारे आर्थिक विकास में बाधक है। शिक्षित वर्ग में बेरोजगारी अलग किस्म की बेरोजगारी है।जैसे कोई भी व्यक्ति वह स्नातक, स्नातकोत्तर पढ़ाई कर लेते है और वह बेरोजगार हो जाते है तो इसी स्थिति को शिक्षित बेरोजगारी कहाँ जाता है।भारत में शिक्षित बेरोजगारी की समस्या गंभीर रूप में उपस्थित है। इसके समाधान के लिए अलग से विशेष प्रयास की आवश्यकता है।

शिक्षित बेरोजगारी(educated unemployment) भारत की आर्थिक समस्याओं की प्रमुख समस्या है। यह स्थिति हमारे आर्थिक विकास में बाधक है। शिक्षित वर्ग में बेरोजगारी अलग किस्म की बेरोजगारी है।जैसे कोई भी व्यक्ति वह स्नातक, स्नातकोत्तर पढ़ाई कर लेते है और वह बेरोजगार हो जाते है तो इसी स्थिति को शिक्षित बेरोजगारी कहाँ जाता है।भारत में शिक्षित बेरोजगारी की समस्या गंभीर रूप में उपस्थित है। इसके समाधान के लिए अलग से विशेष प्रयास की आवश्यकता है।इनमें से कुछ लोग तो ऐसे है जो अल्प-रोजगार की स्थिति में है। इनको थोड़ा बहुत काम तो मिला हुआ होता है लेकिन यह काम या तो उनके शिक्षा के अनुसार नहीं होता या फिर इनकी क्षमता से कम होता है.

शिक्षित बेरोजगारी(educated unemployment) भारत की आर्थिक समस्याओं की प्रमुख समस्या है। यह स्थिति हमारे आर्थिक विकास में बाधक है। शिक्षित वर्ग में बेरोजगारी अलग किस्म की बेरोजगारी है।जैसे कोई भी व्यक्ति वह स्नातक, स्नातकोत्तर पढ़ाई कर लेते है और वह बेरोजगार हो जाते है तो इसी स्थिति को शिक्षित बेरोजगारी कहाँ जाता है।भारत में शिक्षित बेरोजगारी की समस्या गंभीर रूप में उपस्थित है। इसके समाधान के लिए अलग से विशेष प्रयास की आवश्यकता है।इनमें से कुछ लोग तो ऐसे है जो अल्प-रोजगार की स्थिति में है। इनको थोड़ा बहुत काम तो मिला हुआ होता है लेकिन यह काम या तो उनके शिक्षा के अनुसार नहीं होता या फिर इनकी क्षमता से कम होता है.इस रूप में इनकी बेरोजगारी छिपी होती है। कुछ शिक्षित व्यक्ति ऐसे भी है जिनको कुछ काम मिला नहीं होता है अर्थात् वे खुले रूप से बेरोजगार होते है ।

शिक्षित बेरोजगारी(educated unemployment) भारत की आर्थिक समस्याओं की प्रमुख समस्या है। यह स्थिति हमारे आर्थिक विकास में बाधक है। शिक्षित वर्ग में बेरोजगारी अलग किस्म की बेरोजगारी है।जैसे कोई भी व्यक्ति वह स्नातक, स्नातकोत्तर पढ़ाई कर लेते है और वह बेरोजगार हो जाते है तो इसी स्थिति को शिक्षित बेरोजगारी कहाँ जाता है।भारत में शिक्षित बेरोजगारी की समस्या गंभीर रूप में उपस्थित है। इसके समाधान के लिए अलग से विशेष प्रयास की आवश्यकता है।इनमें से कुछ लोग तो ऐसे है जो अल्प-रोजगार की स्थिति में है। इनको थोड़ा बहुत काम तो मिला हुआ होता है लेकिन यह काम या तो उनके शिक्षा के अनुसार नहीं होता या फिर इनकी क्षमता से कम होता है.इस रूप में इनकी बेरोजगारी छिपी होती है। कुछ शिक्षित व्यक्ति ऐसे भी है जिनको कुछ काम मिला नहीं होता है अर्थात् वे खुले रूप से बेरोजगार होते है ।शिक्षित बेरोजगारी की संख्या में निरंतर वृद्धि होती जा रही है। यह एक भयावह समस्या सूचक है, फिर भी शिक्षित बेरोजगारी की संख्या के सम्बन्ध में कोई प्रमाणिक अनुमान

शिक्षित बेरोजगारी(educated unemployment) के सम्बन्ध में भारत में श्रम तथा रोजगार मंत्रालय तथा योजना आयोग के अनुमानों में अंतर्विरोध है फिर भी इन आंकड़ों के आधार पर निश्चित रूप से कहाँ जा सकता है कि भारत में 1961 और 1991 तक 30 वर्षों के दौरान शिक्षित बेरोजगारों की संख्या 5.90 लाख से बढ़कर 224.34 लाख हो गयी है

इससे यह बात स्पष्ट हो जाती है कि शिक्षित बेरोजगारों की संख्या में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है। एक और बात जो इन आंकड़ो से जाहिर होती है, वह यह है कि स्नातक एवं स्नातकोत्तर शिक्षितों में बेरोजगारी की मात्रा न केवल कुल रूप में अपितु सापेक्ष रूप में भी बढ़ी है।

इससे यह बात स्पष्ट हो जाती है कि शिक्षित बेरोजगारों की संख्या में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है। एक और बात जो इन आंकड़ो से जाहिर होती है, वह यह है कि स्नातक एवं स्नातकोत्तर शिक्षितों में बेरोजगारी की मात्रा न केवल कुल रूप में अपितु सापेक्ष रूप में भी बढ़ी है।इससे यह बात स्पष्ट हो जाती है कि भारतीय समाज में अत्यधिक शिक्षा प्राप्त करने की प्रवृति विद्यमान है। हाई स्कूलों और सेकेंडरी व इंटरमीडिएट के पश्चात

परन्तु शिक्षित बेरोजगारी(educated unemployment) का मूल कारण वहीं है जो देश में सामान्य बेरोजगारी का मूल कारण है और वह आर्थिक विकास में मंथर गति है।

Answered by inchudevi459
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भारत मे शिक्षित बेरोज़गारी के प्रमुख कारण

रोज़गार का ना होना

योग्यता की कमी

दोषपूर्ण शिक्षा व्यवस्था

सरकार की असफलता

Explanation:

बेरोज़गारी भारत की एक बड़ी समस्या है| बेरोज़गारी सामान्यतः दो प्रकार की होती है सामान्य बेरोज़गारी और शिक्षित बेरोज़गारी | शिक्षित बेरोज़गारी भारत के आर्थिक मंदी और बाधाओ का एक बहुत बड़ा कारण दिखाई पड़ता है | भारतीय लोग उच्च शिक्षा प्राप्त तो कर लेते है लेकिन नौकरिया ना होने के कारण उनको बेरोज़गार ही रहना पड़ता है| शिक्षित बेरोज़गारी होने के कई कारण है दोषपूर्ण शिक्षा व्यवस्था,लोगो मे योग्यता की कमी और पब्लिक और प्राइवेट स्तर पर रोज़गार का ना होना भी एक कारण है | भारत मे आज रोज़गार को लेकर भयावह स्तिथि बनी हुई है, लगभग हर साल एक करोड़ के आस-पास बेरोज़गारी पैदा होती है | जिसका भारत सरकार के पास कोई हल नही है| भारत सरकार की असफलता भी एक बड़ी कारण है शिक्षित बेरोज़गारी की |  

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