भारत माता के स्वरूप को कवि ने किस प्रकार व्यक्त किया है
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भारत माता के स्वरूप को कवि ने किस प्रकार व्यक्त किया है?
वंदे मातरम् का इतिहास बड़ा ही दिलचस्प है. बंगाल के महान साहित्यकारों और कवियों में से एक बंकिम चंद्र ने वंदे मातरम् की रचना 1870 के दशक में की थी. उन्होंने भारत को दुर्गा का स्वरूप मानते हुए देशवासियों को उस माँ की संतान बताया
वंदे मातरम् का इतिहास बड़ा ही दिलचस्प है. बंगाल के महान साहित्यकारों और कवियों में से एक बंकिम चंद्र ने वंदे मातरम् की रचना 1870 के दशक में की थी. उन्होंने भारत को दुर्गा का स्वरूप मानते हुए देशवासियों को उस माँ की संतान बतायाExplanation:
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पंत जी की सुप्रसिद्ध कविता भारत माता है इसमें उन्होंने भारत माता की झांकी प्रस्तुत की है उनके अनुसार भारत माता ग्रामवासिनी हैं । खेतों की श्यामलता, गंगा यमुना के जल में उनके रूप की झांकी ला जा सकती है। देश की दुर्दशा से भारत माता उदास है। सर्वत्र, गरीबी ,दीनता ,विलाप ,उदासी भुखमरी और मूढ़ता , आसीक्षा, का साम्राज्य है । सन 1940 में लिखी गई इस कविता के बाद देश की परिष्टितियो में प्रमुख बदलाव आया है । किंतु अभी भी भारत माता का मुख मंडल दीप्त दिखाई नही देता । ऐसा प्रतीत होता है मानो उसे राहु ने ग्रस लिया हो।