Hindi, asked by kumarravi87698845, 6 months ago

भारत में विकास और विस्थापन पर निवध ​

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Answered by snehakumari1952005
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विकास और विस्थापन की बहस से कई मर्तबा गुजरने के बाद हम सबके सामने यह सवाल आया कि बिजली, सड़क, कारखाने या किसी तानाशाह की मनोवृत्ति को संतृप्त करने के लिये जब विकास की परिभाषा गढ़ी जाती है, तब क्या-क्या घटता है? अक्सर बहस इस बात पर आकर टिक जाती है कि विकास के लिये विस्थापन जरूरी है और जब किसी का विस्थापन होता है तो उसका अच्छे से पुनर्वास होना चाहिए। 

बस यहाँ आकर विस्थापन से जुड़ी और बाकी की तमाम दुर्घटनाओं को विकास के कालीन के नीचे बुहार दिया जाता है। जो सवाल विकास के लाल मखमली कालीन के नीचे दबे हुए हैं (पर जिन्दा हैं) उनमें से एक सवाल उन समाजों की पहचान का भी है, जो विस्थापन की आँधी में इस तरह उड़ती है कि बस कुछ मत पूछिए। हम सोचते हैं कि इस समाज में जितना विकास हो रहा है उससे तो समाज और स्वतंत्र होना चाहिए, उसकी पहचान और साफ होना चाहिए। पर हो कुछ उल्टा रहा है। 

हम अब और ज्यादा संग्रहालय (म्यूजियम) बना रहे हैं। इन संग्रहालयों में हमें क्या देखने को मिलता है? कुछ टूटे हुए बर्तन, कुछ घरों की प्रतिकृति आलों और ओटलों की नकल, पानी भरने वाले घड़े, चटाई और खाट, अनाज रखने वाले मिट्टी के भण्डार, बच्चों के खिलौने, उन चित्रों की प्रतिलिपि हैं जो घरों के दरवाजों पर उकेरे जाते रहे और भी शायद कई वस्तुएँ l

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Answered by vrishankt17
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Answer:

Hi mate have a nice day

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