Hindi, asked by abhikeshbharti2000, 9 months ago

भारत और चीन में मानव अधिकारों की स्थिति की तुलना और असमानताओं का वर्णन कीजिए।​

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Answered by nishakiran2468
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Answer:

भारत और चीन दो अलग-अलग शासन व्यवस्था वाले देश हैं। भारत एक लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था वाला देश है तो चीन साम्यवादी शासन व्यवस्था वाला देश है। भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। लोकतंत्र का अर्थ है लोगों का तंत्र यानी जनता द्वारा चलाया जाने वाला तंत्र। ऐसा तंत्र जिसमें जनता ही सर्वोपरि हो, जनता ही अपनी सरकार चुनती हो। किसी भी लोकतंत्र में मानव अधिकारों का मजबूत होना स्वाभाविक है।

भारत में भारत के नागरिकों के लिए हर तरह के नागरिक अधिकार प्राप्त हैं। जैसे स्वतंत्रता का अधिकार, धर्म चुनने की आजादी का अधिकार, स्वतंत्र जीवन जीने का अधिकार, बोलने की आजादी, किसी भी तरह की सामाजिक, राजनीतिक या धार्मिक गतिविधि में भाग लेने का अधिकार, समानता का अधिकार, समान रूप से मताधिकार का अधिकार, समान रूप से कानूनी आश्रय का अधिकार जैसे अनेक अधिकार भारत में नागरिकों के लिए प्रदत्त हैं।

चीन में ऐसा नहीं है। चीन एक साम्यवादी देश है जहां पर केवल एक पार्टी का ही वर्चस्व है, जिसका शासन चीन में है। चीन में सरकार के खिलाफ बोलने की आजादी नहीं है। प्रेस को स्वतंत्रता नहीं है। चीन में घटित कोई भी घटना आसानी बाहर नहीं आ पाती। चीन में सरकार से असहमति जताने पर आवाज को दबा दिया जाता है अर्थात वहाँ मानवाधिकार हनन बिल्कुल आम बात है।  

भारत में बोलने की भरपूर आजादी है। भारत में प्रेस को पूरी स्वतंत्रता है। यहां पर मानव अधिकारों का हनन नहीं होता किसी भी नागरिक के साथ अन्याय होने पर उसके विरुद्ध जोर शोर से आवाजें उठती हैं, जबकि चीन में ऐसा नहीं है। इसलिए मानवाधिकारों की तुलना करने पर दो पड़ोसियों भारत और चीन में बहुत बड़ा अंतर है। मानवाधिकारों के परिप्रेक्ष्य में भारत की स्थिति चीन की तुलना बहुत बेहतर है

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