भारत और तिब्बत की महिलाओं में क्या अंतर है?
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भारत की महिला
भारत में महिलाओं की स्थिति ने पिछली कुछ सदियों में कई बड़े बदलावों का सामना किया है। प्राचीन काल में पुरुषों के साथ बराबरी की स्थिति से लेकर मध्ययुगीन काल के निम्न स्तरीय जीवन और साथ ही कई सुधारकों द्वारा समान अधिकारों को बढ़ावा दिए जाने तक , भारत में महिलाओं का इतिहास काफी गतिशील रहा है। आधुनिक भारत में महिलाएं राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री , लोक सभा अध्यक्ष , प्रतिपक्ष की नेता आदि जैसे शीर्ष पदों पर आसीन हुई हैं। भारत में महिलाओं की स्थिति सदैव एक समान नही रही है। इसमें युगानुरूप परिवर्तन होते रहे हैं। उनकी स्थिति में वैदिक युग से लेकर आधुनिक काल तक अनेक उतार - चढ़ाव आते रहे हैं तथा उनके अधिकारों में तदनरूप बदलाव भी होते रहे हैं। वैदिक युग में स्त्रियों की स्थिति सुदृढ़ थी , परिवार तथा समाज में उन्हे सम्मान प्राप्त था। उनको शिक्षा का अधिकार प्राप्त था। सम्पत्ति में उनको बराबरी का हक था। सभा व समितियों में से स्वतंत्रतापूर्वक भाग लेती थी तथापि ऋगवेद में कुछ ऐसी उक्तियां भी हैं जो महिलाओं के विरोध में दिखाई पड़ती हैं। मैत्रयीसंहिता में स्त्री को झूठ का अवतार कहा गया है। ऋगवेद का कथन है कि स्त्रियों के साथ कोई मित्रता नही है , उनके हृदय भेड़ियों के हृदय हैं। ऋगवेद के अन्य कथन में स्त्रियों को दास की सेना का अस्त्र - शस्त्र कहा गया है। स्पष्ट है कि वैदिक काल में भी कहीं न कहीं महिलाये नीची दृष्टि से देखी जाती थीं। फिर भी हिन्दू जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में वह समान रूप से आदर और प्रतिष्ठित थीं। शिक्षा , धर्म , व्यक्तित्व और सामाजिक विकास में उसका महान योगदान था।
तिब्बत की महिला
चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में महिला कार्य की प्रगति हमेशा ध्यानाकर्षक है। महिलाएं तिब्बत के आर्थिक व सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही हैं। देश में दूसरे क्षेत्रों की ही तरह तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में महिलाओं के स्थानों को बहुत उन्नत किया गया है। लोकतांत्रिक रुपांतरण से पहले, तिब्बती महिलाओं को भारी उत्पीड़ित किया जाता था और वे समाज के निचले हिस्से में रहती थीं। पुराने तिब्बत के कानून के अनुसार महिलाओं का मूल्य कुछ औजारों से भी कम रहता था। महिलाओं को राज्य और सैन्य मामलों में भाग लेना भी मना हुआ था। लोकतांत्रिक रुपांतरण करने के बाद तिब्बत में महिलाओं का राजनीतिक स्थान बहुत उन्नत किया गया और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की जन प्रतिनिधि सभा, जन सलाहकार सम्मेलन और न्यायालय में बहुत सी महिला अफसर और चर्च नज़र आयी हैं और महिला उद्यमी, महिला कलाकार तथा महिला खिलाड़ी भी समाज में सक्रियता से भूमिका अदा कर रही हैं। आज तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में 85 प्रतिशत नेतृत्वकारी कार्यालयों में महिला कर्मचारी काम कर रही हैं। और महिलाओं के शिक्षण कार्यों का भी उल्लेखनीय विकास किया जा रहा है। 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में महिला विकास योजना जारी की गयी जिस के तहत वैधानिक तौर पर महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की गयी है। इससे यह जाहिर है कि तिब्बती महिलाओं के स्थान की ऐतिहासिक प्रगतियां प्राप्त हो चुकी हैं।
आधुनिक भारत में महिलाएं राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोक सभा अध्यक्ष, प्रतिपक्ष की नेता आदि जैसे शीर्ष पदों पर आसीन हुई हैं। चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में महिला कार्य की प्रगति हमेशा ध्यानाकर्षक है। देश में दूसरे क्षेत्रों की ही तरह तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में महिलाओं के स्थानों को बहुत उन्नत किया गया है।