भारत सरकार द्वारा पादप और जीवन संपत्ति की सुरक्षा के लिए उठाए गए प्रमुख कदमों को बताइए।
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केंद्र सरकार द्वारा पारित अधिनियम के प्रावधान इस प्रकार
भारतीय वन अधिनियम, 1927 (Indian Forest Act, 1927)
भारतीय वन अधिनियम सन् 1927 में पारित किया गया था। भारतीय वन (संरक्षण) अधिनियम (Indian Forest Conservation Act, 1980) तथा वन संरक्षण नियम (Forest Conservation Rules, 1981) में पारित हुआ।
इसके नियम इस प्रकार हैं-
1.सन् 1927 में पारित मूल अधिनियम में वन-पशु अधिकारी, वन संपदा, नदी, वृक्ष, लकड़ी इत्यादि की अधिकृत परिभाषा दी गई हैं।2. सन् 1927 के अधिनियम के अनुसार सुरक्षित वन घोषित करने का अधिकार राज्य सरकारों को है।
3. सुरक्षित वनों के अंदर किसी जाति के किसी वृक्ष को राज्य सरकार सुरक्षित घोषित कर सकती है।
4. सुरक्षित वनों के नियमों का निर्धारण भी राज्य सरकारें कर सकती हैं, जो निम्न क्षेत्रों में होंगे-
i. वृक्ष तथा लकड़ी काटने संबंधी।
ii. सहवर्ती ग्रामों के वासियों को वन के भीतर उपलब्ध वन-संपदा को अपने उपयोग के लिए देने संबंधी।
iii. सहवर्ती वनों के भीतर खेती करने संबंधी।
iv. अग्निकांड संबंधी।
v. घास काटने संबंधी।vi. वनों के प्रबंधन संबंधी।
5. वृक्षों को नुकसान पहुंचाने पर छह मास की कैद या/और 500 रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है।
6. राज्य सरकारें उद्घोषण द्वारा किसी भी वन का नियंत्रण सुरक्षा की दृष्टि से अपने हाथ में ले सकती हैं।
7. पालित पशुओं (Cattles) द्वारा वन सीमा का उल्लंघन (Trespass) करने पर मालिक पर आर्थिक जुर्माना किया जा सकता है तथा पशु को रोक पर रखा भी जा सकता है।
वन संरक्षण अधिनियम, 1980 (Forest Conservation Act, 1980)
इस अधिनियम में सन् 1988 में संशोधन किया गया था। इसके अनुसार –
राज्य सरकारें सुरक्षित वनों को असुरक्षित अथवा किसी अन्य वन को सुरक्षित घोषित कर सकती है।
सुरक्षित वनों के कुछ भाग आवश्यकता होने पर चाय, कॉफी, मसालों, रबर आदि के उत्पादन के लिए प्रयोग कराए जा सकते हैं।
केंद्र सरकार एडवाइजरी कमेटी (Advisory Commitees) बना सकती है, जो केंद्र सरकार के वनों के संबंध में नियम बना सकती है।
केंद्र सरकारें वन संबंधी नियम बना सकती है।
वन संरक्षण नियम, 1981 (Forest Conservation Rules, 1980)
उक्त नियम केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए हैं, जो नियम वन संरक्षण अधिनियम, 1980 द्वारा केंद्र सरकार को प्रदत्त अधिकारी के अनुरूप है।
1. एडवाइजरी कमेटी में निम्न सदस्य होंगे-
i. वनों का महानिरीक्षक – अध्यक्ष
ii. अतिरिक्त वन महानिरीक्षक – सदस्य
iii. संयुक्त कमिश्नर मृदा संरक्षण-सदस्य
iv. तीन प्रमुख वैज्ञानिक – सदस्य
v. उप-महानिरीक्षक- वन सचिव सदस्य
2. कमेटी के गैर सरकारी सदस्यों का कार्यकाल 2 वर्ष होगा व उनके यात्रा एवं अन्य भत्ते सरकार द्वारा देय होंगे।
3. कमेटी निम्न प्रकार कार्य करेगी-
i. एक मास में कम-से-कम एक बार बैठक नई दिल्ली में या आवश्यकता होने पर देश में कहीं भी की जा सकती है।
ii. अध्यक्ष के न होने पर वरिष्ठतम व्यक्ति अध्यक्षता कर सकता है।
4. राज्य सरकारों द्वारा विचार के लिए प्रस्ताव भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण सचिव को दिए जाने चाहिए।
5. कमेटी निम्न बिंदुओं पर केंद्र सरकार को सुझाव देगी-
i. किसी वन भूमि, जो प्राकृतिक वन, नेशनल पार्क, वन्य प्राणी पार्क आदि में आती है, के गैर वन संबंधी उपयोग के बारे में।
ii. सुरक्षित वनों का कृषि, शरणार्थी निवास आदि के उपयोग के बारे में।
iii. राज्य सरकारों द्वारा उक्त संबंध में किए गए कार्यों की समीक्षा।
iv. पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव के बारे में।
v. केंद्र सरकार कमेटी के सुझाव मान भी सकती है एवं अन्य विशेष जांच करने के लिए अधिकृत है।
वन्य प्राणी सुरक्षा अधिनियम, 1972 (Wild Life Protection Act, 1972)
उक्त अधिनियम 1972 में पारित किया गया था। इसमें 1982, 1986, 1991 तथा 1993 में संशोधन किए गए।
इस अधिनियम में पशु, पशु पदार्थ (Animal Article), पकड़े हुए पशु (Captive Animal) आदि की समुचित परिभाषाएं दी गई हैं।
इसमें अन्य प्राणी संरक्षण निदेशक, सह-निदेशक, मुख्य वन्य-प्राणी वार्डन, वन्य प्राणी वार्डन तथा अन्य अधीनस्थ कर्मियों के चुनाव और नियुक्ति के निर्देश हैं।
केंद्र अथवा राज्य-स्तर पर वन्य-प्राणी एडवायरी बोर्ड निम्न प्रकार गठित होगा-
i. केंद्र अथवा राज्य सरकार का वन मंत्री-अध्यक्ष
ii. संबंधित विधान सभा के दो सदस्य-सदस्य
iii. राज्य अथवा केंद्र सरकार का वन सचिव-सदस्य
iv. राज्य सरकार का मुख्य वन अधिकारी-पदेन सदस्य
v. निदेशक द्वारा नामित अधिकारी-सदस्य
vi. मुख्य प्राणी वार्डन-पदेन सदस्य
vii. केंद्र अथवा राज्य सरकार द्वारा नामित 10 व्यक्ति, जो वन्य प्राणी संरक्षण अथवा जन-जातियों से संबंधित हों।
4. i. बोर्ड की बैठक वर्ष में कम-से-कम दो बार होगी।
iii. बोर्ड अपनी कार्यशैली तथा कोरम आदि स्वयं तय करेगा।
5. मुख्य वन प्राणी वार्डन द्वारा अनुमत स्थिति के अतिरिक्त किसी स्थिति में वन्य प्राणियों का शिकार करने की अनुमति नहीं है।
6. इस नियम द्वारा विशिष्ट प्रकार के पादपों (Specified Plants) को तोड़ने, झाड़ने, एकत्रित करने की अनुमति बिना केंद्र सरकार के नहीं मिल सकती।
7. बिना लाइसेंस के किन्ही विशिष्ट प्रकार के पादपों को रोपित नहीं कर सकता।
8. इस अधिनियम में एक केंद्रीय जू अधिकरण (Central Zoo Authority) के गठन का प्रावधान किया गया है, जो जू संबंधी कार्यों की देख-रेख करेगा?
9. वन्य प्राणी पदार्थ राष्ट्रीय संपत्ति हैं और उनका व्यापार करना दंडनीय होगा।
10. इस अधिनियम की अनुसूचियों में संरक्षित वन्य प्राणियों, पदार्थों, पादपों आदि की अनुसूची दी गई है।
11. नियमों का उल्लंघन करने पर तीन वर्ष की कैद तथा 25 हजार रुपये जुर्माने या दोनों तक का प्रावधान है।