भारतीय गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त ने जानकारी दी थी|
(अ) शून्य की
(ब) हिन्दू संख्या
(स) दशमलव की
(द) n का मान
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A शून्य की सिंबल के बारे मे
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सही उत्तर...
(अ) शून्य की
ब्रह्मगुप्त ने दुनिया को शून्य के ज्ञान से परिचित कराया। ब्रह्मगुप्त सातवीं शताब्दी के एक प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ थे। वह उज्जैन की अंतरिक्ष प्रयोगशाला के प्रमुख थे। उज्जैन उस समय गुर्जर प्रदेश का एक प्रख्यात शहर था। ब्रह्मगुप्त ने ही सबसे पहले अपने अंक ‘ब्रह्मस्फुट सिद्धांत’ में ‘शून्य’ का एक अलग अंक के रूप में उल्लेख किया था। उन्होंने अपने इस ग्रंथ में ऋणात्मक अंकों और शून्य पर गणित करने के सभी नियमों का वर्णन भी किया है। ब्रह्मगुप्त ने ‘ब्रह्मस्फुट सिद्धांत’ और ‘खंड खाद्य’ नामक ग्रंथों की रचना की। प्रसिद्ध गणितज्ञ भास्कराचार्य ने उन्हें ‘गणक चक्र चूड़ामणि’ की उपाधि से विभूषित किया।
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