भारतीय लोक गीत पर निबन्ध | Write an essay on Indian Folk Songs in Hindi
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लोकगीत
भूमिका:-> लोक+गीत अर्थात लोगों के गीत । स्थानीय भाषाओं में जो गीत गाए जाते हैं उसे लोकगीत कहा जाता है। लोक गीत शास्त्रीय संगीत से भिन्न हैं। लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं। भारत के विभिन्न घरों गांव और नगरों में यह गीत आज भी गाए जाते हैं। इनको गाने के लिए किसी विशेष अभ्यास की जरूरत नहीं होती है।
लोकगीत गाने के अवसर:-> यह लोकगीत मुख्य तथा हारों और विशेष अवसरों पर ही गाए जाते हैं। त्योहारों पर नदियों में नहाने जाते समय नहाने जाते हुए की राह पर विवाह के अवसर पर तथा संबंधियों के लिए प्रेम युक्त गाली के रूप में भी इन गीतों को गाया जाता है। जन्म आदि सभी अवसरों के अलग-अलग गीत हैं।
लोक गीत के रचनाकार:-> लोकगीतों को रचने वाले ज्यादातर लोग गांव के ही हैं स्त्रियों का भी इनकी रचना में विशेष स्थान रहा है इन गीतों को बाजो की मदद के बिना ही साधारण ढोलक, झांझ, करतार, बांसुरी आदि की मदद से गाए जाते हैं। लोकगीतों में कोरी कल्पना को माना देखकर गीतों को रोजमर्रा के विषय से रचा जाता है।
लोकगीत के प्रकार:-> लोकगीत के कई प्रकार हैं। जैसे भोजपुरी भोजपुरी में विदेशिया का अत्यधिक प्रचार हुआ है गाने वालों के अनेक समूह इन्हें गाते हुए देहात में फिरते हैं। पहाड़ियों के अपने-अपने गीत हैं इनमें मुख्य रूप से गढ़वा किन्नौर कांगड़ा आदि के अपने-अपने गीत और उन्हें गाने की अपनी-अपनी विधियां हैं। चैता, कजरी, बारहमासा साबुन आदि उत्तर प्रदेश, बाउल और भातियाली बंगाल के, पंजाब में माहिया तथा राजस्थानी में ढोला मारू आदि गीत बड़े चाव से गाए जाते हैं।
उपसंहार:-> आधुनिकता के इस दौड़ में आज हम अपनी संस्कृति को भूल रहे हैं और पश्चात्य सभ्यता को अपना रहे हैं। हमें अपनी रीति रिवाजों और परंपराओं को सहेज कर रखना चाहिए।