भारतीय लोकतंत्र की चुनौतियाँ एवं समस्याएँ - UPSC Essays
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वर्तमान उदारवादी प्रजातांत्रिक देशों में भारत एक महान प्रजातांत्रिक देश है लेकिन इसकी सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक परिस्थितियां न सिर्फ दूसरे देश से भिन्न हैं बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न देशों में पूर्णतया लोकतंत्र स्थापित नहीं हो पाया है और इसके पड़ोसी देशों में दुनिया भर की विभिन्न प्रकार की शासन प्रणालियां विद्यमान हैं जिससे भारतीय लोकतंत्र प्रभावित है। साथ ही साथ देश के अंदर साम्प्रदायिकता, क्षेत्रावाद, हिंसा, अपराधीकरण, क्षेत्रीय विषमताएं, अशिक्षा, गरीबी, जनसंख्या विस्फोट, जातिवाद, सामाजिक-आर्थिक असमानता भारतीय लोकतंत्र के लिए चुनौती पैदा कर रहे हैं। जब तक इन समस्याओं का सामधान नहीं हो जाता तब तब भारतीय लोकतंत्र सुदृढ़ नहीं हो पाएगा।
भारत में राष्ट्र निर्माण के मार्ग में जो विभिन्न बाधाए हैं। इन बाधाओं में साम्प्रदायिकता निश्चित रूप से एक बड़ी बाधा है। स्वतंत्रता की प्राप्ति के पश्चात जब भारत में संविधान के द्वारा एक धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना की गई गोखले तथा उनके जैसे अनेक व्यक्तियों ने यह आशा की थी कि राजनीति को धर्म से अलग हो जाने से हिंदुओं और मुसलमानों के पुराने विरोध समाप्त हो जाएंगे। पंरतु गोखले तथा उनके जैसे अन्य व्यक्तियों को यह आशा पूरी नहीं हुई और भारत में साम्प्रदायिकता का अंत नहीं हुआ। पिछला पांच-सात वर्षों में राम जन्मभूमि बनाम बाबरी मस्जिद विवाद के चलते साम्प्रदायिकता के जिस उन्माद को बढ़ावा मिला है, उसके चलते भारतीय राजनीति साम्प्रदायिकता से इतने गहरे रूप से प्रभावित हुई है जितना स्वतंत्रता के समय से लेकर अब तक कभी प्रभावित नहीं हुई थी।
साम्प्रदायिकता के अंतर्गत वे सभी भावनाएं तथा क्रियाकलाप आ जाते हैं, जिनके आधार पर किसी विशेष समूह के हितों पर बल दिया जाए और उन हितों को राष्ट्रीय हितों के ऊपर भी प्राथमिकता दी जाए। यह भी उल्लेखनीय है कि वैसी भावनाओं तथा कार्यकलापों के पीछे स्वार्थ सिद्धि का लक्ष्य होता है। भारतीय राजनीति में उपर्युक्त अर्थ में साम्प्रदायिक विद्यमान है। धर्म का प्रयोग रानीति में जहां एक ओर तनाव उत्पन्न करने के लिए कि