Hindi, asked by thoisana625, 1 year ago

शहीद खुदीराम बोस पर निबंध। Khudiram Bose Essay in Hindi

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Answered by TheEmma
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वर्तमान में आमतौर पर उन्‍नीस वर्ष से कम उम्र के किसी युवक के भीतर देश और लोगों की तकलीफों, और जरूरतों की समझ कम ही होती है। लेकिन खुदीराम बोस ने जिस उम्र में इन तकलीफों के खात्‍मे के खिलाफ आवाज बुलंद की, वह मिसाल है, जिसका वर्णन इतिहास के पन्‍नों पर स्‍वर्णिम अक्षरों में दर्ज है।

इससे ज्‍यादा हैरान करने वाली बात और क्‍या हो सकती है कि जिस उम्र में कोई बच्‍चा खेलने-कूदने और पढ़ने में खुद को झोंक देता है, उस उम्र में खुदीराम बोस यह समझते थे कि देश का गुलाम होना क्‍या होता है और कैसे या किस रास्‍ते से देश को इस दशा को इस दशा से बाहर लाया जा सकता है। इसे कम उम्र का उत्‍साह कहा जा सकता है, लेकिन खुदीराम बोस का वह उत्‍साह आज भारत में ब्रिटिश राज के खिलाफ आंदोलन के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है, तो इसका मतलब यह है कि वह केवल उत्‍साह नहीं था, बल्‍कि गुलामी थोपने वाली किसी सत्ता की जड़ें हिला देने वाली भूमिका थी। अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि महज उन्‍नीस यहीं से शुरू हुए सफर ने ब्रिटिश राज के खिलाफ क्रांतिकारी आंदोलन की ऐसी नींव रखी कि आखिकार अंग्रेजों को इस देश पर जमे अपने कब्‍जे को छोड़़ कर जाना ही पड़ा।

बंगाल के मिदनापुर जिले के हबीबपुर गांव में त्रैलोक्‍य नाथ बोस के घर 3 दिसंबर 1889 को खुदीराम बोस का जन्‍म हुआ था, लेकिन बहुत ही कम उम्र में उनके सिर से माता-पिता का साया उठ गया। माता-पिता के निधन के बाद उनकी बड़ी बहन ने मां-पिता की भूमिका निभाई और खुदीराम का लालन-पालन किया था। इतना तय है कि उनके पलने-बढ़ने के दौरान ही उनमें प्रतिरोध की चेतना भी विकसित हो रही थी। दिलचस्‍पी बात यह है कि खुदीराम ने अपनी स्‍कूली जिंदगी में ही राजनीतिक गतिविधियों में हिस्‍सा लेना शुरू कर दिया था। तब वे प्रतिरोध जुलूसों में शामिल होकर ब्रिटिश सत्ता के साम्राज्‍यवाद के खिलाफ नारे लगाते थे तथा अपने उत्‍साह से सबको चकित कर देते थे। यही वजह है कि किशोरावस्‍था में ही खुदीराम बोस ने अपने हौंसले को उड़ान देने के लिए सत्‍येन बोस को खोज लिया और उनके नेतृत्‍व में अंग्रेजों के विरुद्ध मैदान में कूद पड़े थे। तब 1905 में बंगाल विभाजन के बाद उथल-पुथल का दौर चल रहा था। उनकी दीवानगी का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उन्‍होंने नौंवीं कक्षा की पढ़ाई भी बीच में ही छोड़ दी और अंग्रेजों के खिलाफ मैदान में कूद पड़े। तब रिवोल्‍यूशनरी पार्टी अपना अभियान जोर-शोर से चला रही थी और खुदीराम को भी एक मंच चाहिए था जहां से यह लड़ाई ठोस तरीके से लड़ी जाए।

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शहीद खुदीराम बोस पर निबंध। Khudiram Bose Essay in Hindi

❱ खुदीराम बोस बंगाली-भारतीय क्रांतिकारी थे, जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत का विरोध किया था । खुदीराम ने प्रफुल्ल चाकी के साथ मिलकर एक ब्रिटिश न्यायाधीश, मजिस्ट्रेट किंग्सफोर्ड की हत्या करने का प्रयास किया. हालांकि, मजिस्ट्रेट किंग्सफोर्ड एक अलग गाड़ी में बैठा था, जिसके परिणामस्वरूप दो ब्रिटिश महिलाओं की मौत हो गई । प्रफुल्ला ने गिरफ्तारी से पहले आत्महत्या कर ली । खुदीराम को गिरफ्तार किया गया था और दो महिलाओं की हत्या के लिए trialed, अंततः डीईए को सजा सुनाई जा रही

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