भारतीय नारी सहनशीलता की आदर्श देवी है इसपर अपने विचार ४ ५ पत्तियों में लिखिए हिंदी में
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स्वरूप बनती है।
दो प्रकार के नारी होती है एक सुघड़ आदर्श नारी और फूहड़ नारी । सुघड़ नारी अपनी सहनशीलता, विवेक ,धैर्य ,संयम, मधुर भाषा व बुद्धि चातुर्य से घर को स्वर्ग बना देती है और फूहड़ नारी अविवेक, क्रोध, कर्कश भाषा, असहिष्णुता और अपनी कार्य अकुशलता से घर को नर्क बना देती है। नारी जब उत्तम गुणों को धारण करती है तो वह परिवार का रक्षा कवच होती है जो अपने उत्तम गुणों से परिवार को सहेज कर रखती है और परिवार की शोभा को बढ़ा देती है । यह विचार पंजाब सिंहनी प्रदीप रश्मि जी ने एसएस जैन सभा मलोट के प्रांगण में श्रद्धालुओं से कहे।
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उन्होंने कहा नारी शक्ति का पुंज है। नारी नारायणी है । नारी ज्योति भी है और ज्वाला भी है । नारी गृहस्थ जीवन की धुरी है। सारा परिवार इस धुरी के इर्द-गिर्द घूमता है इसलिए धुरी का ठीक होना अत्यंत आवश्यक है। गृहस्थ जीवन गाड़ी है। नर व नारी गाड़ी के दो पहियों के समान हैं। दोनो पहियों में समानता होगी तो गाड़ी चलेगी । यदि एक पहिया ट्रक का होगा और एक स्कूटर का होगा तो गाड़ी नहीं चलेगी । जीवन गाड़ी चलाने के लिए पति-पत्नी के विचारों में समानता होनी जरूरी है। विचारों में तालमेल नहीं बैठता है तो गाड़ी चल नहीं पाती है। आदर्श नारी अपनी सहनशक्ति धैर्य , विवेक व संयम से अपने विचारों का तालमेल बिठाना जानती है। इसलिए आदर्श नारी सारे परिवार को संगठित कर देती है। फूहड़ नारी संगठित परिवार को भी बिखेर देती है। आदर्श नारी की प्राप्ति से इंसान का सुख और सौभाग्य कई गुना बढ़ जाता है। एसएस जैन सभा के प्रधान श्री प्रवीण जैन ने बताया कि 21 जुलाई को आचार्य सम्राट श्री आनंद ऋषि जी महाराज साहब की पावन जन्म जयंती तप जप के साथ मना रहे है।
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