भारतीय राष्ट्रपति पद के लिए निर्धारित योग्यताओं का उल्लेख कीजिए
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संघ के सभी कार्यपालक कार्य उनके नाम से किये जाते हैं। अनुच्छेद 53 के अनुसार संघ की कार्यपालक शक्ति उनमें निहित हैं। वह भारतीय सशस्त्र सेनाओं का सर्वोच्च सेनानायक भी हैं। सभी प्रकार के आपातकाल लगाने व हटाने वाला, युद्ध/शांति की घोषणा करने वाला होता है। वह देश के प्रथम नागरिक हैं। भारतीय राष्ट्रपति का भारतीय नागरिक होना आवश्यक है।
भारत के राष्ट्रपति नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में रहते हैं, जिसे रायसीना हिल के नाम से भी जाना जाता है। राष्ट्रपति अधिकतम कितनी भी बार पद पर रह सकते हैं इसकी कोई सीमा तय नहीं है। अब तक केवल पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने ही इस पद पर दो बार अपना कार्यकाल पूरा किया है।
प्रतिभा पाटिल भारत की 12वीं तथा इस पद को सुशोभित करने वाली पहली महिला राष्ट्रपति हैं।[2] उन्होंने 25 जुलाई 2007 को पद व गोपनीयता की शपथ ली थी।[3] वर्तमान में राम नाथ कोविन्द भारत के चौदहवें राष्ट्रपति हैं।
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लेकिन जनता इस बात को नहीं जान पाती है कि किस योग्यता के आधार पर राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवारों का चयन किया जाता है। बता दें कि भारत का राष्ट्रपति बनने के लिए कुछ खास योग्यताओं की जरूरत होती है। किसी में भी अगर ये योग्यताएं हैं तो वो भी राष्ट्रपति बनने की दौड़ में शामिल हो सकता है।
योग्यता
संविधान के अनुच्छेद 58 के अनुसार कोई भी व्यक्ति राष्ट्रपति बनने के लिए योग्य होगा यदि उसमें ये योग्यता है।
वो भारत का नागरिक हो।
उसकी उम्र 35 साल पूरी हो चुकी हो।
लोक सभा का सदस्य निर्वाचित किए जाने के योग्य हो।
किसी लाभ के पद पर न हो। यदि कोई व्यक्ति राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के पद पर या संघ अथवा किसी राज्य के मंत्रिपरिषद का सदस्य हो तो यह नहीं माना जाएगा कि वह लाभ के पद पर है।
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राष्ट्रपति के अधिकार
राष्ट्रपति बनने वाले के पास कई तरह के अधिकार होते हैं। जो देश में अहम फैसले लेने के लिए होते हैं। जानें क्या हैं वो अधिकार। भारत में देश के राष्ट्रपति का पद सबसे ऊंचा पद माना जाता है। भारत का राष्ट्रपति देश का संवैधानिक मुखिया होता है।
संविधान में इस सर्वोच्च पद को कई शक्तियां और अधिकार दिए गए हैं। कुछ शक्तियां ऐसी हैं जो देश में किसी भी दूसरे पदधारक के पास नहीं हैं। जैसे कि देश का कोई भी कानून राष्ट्रपति की अनुमति के बगैर नहीं बन सकता। विधेयक को कानून में बदलने के लिए आखिरी मुहर राष्ट्रपति की ही लगती है।
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संसद में पारित विधेयक राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाता है। राष्ट्रपति या तो उस पर अपनी अनुमति देता है या विधेयक पर पुन: विचार करने के लिए संसद के पास वापस भेजता है। हालांकि अगर संसद उसे फिर से पारित करती है तो राष्ट्रपति को उसे मंजूर करना ही पड़ता है। इसके अलावा राष्ट्रपति को किसी विधेयक पर वीटो का भी अधिकार है।
इसमें एक अहम वीटो होता है पॉकेट वीटो। यानी राष्ट्रपति के पास ये अधिकार है कि वो संसद में पारित किसी विधेयक को अनिश्चित काल के लिए अपने पास रख सकते हैं। राष्ट्रपति के पास मौत की सजा को खारिज करने की शक्ति भी होती है। दया याचिका पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अपराधी की सजा माफ की जा सकती है।
पिछले साल सितम्बर में जम्मू कश्मीर के उड़ी में सैन्य शिविर पर पाकिस्तानी सेना की साजिश से हुए आतंकवादी हमले के बाद भारतीय सेना ने इसका बदला लेने की ठानी और इसका माकूल जवाब सर्जिकल हमला के तौर पर दिया।
आखिर क्या वजह है कि विश्वास और सिसोदिया को मीडिया के जरिए बात करनी पड़ी ?
पाकिस्तानी सेना के ठिकानों पर सर्जिकल हमला करने के बाद भारतीय नेताओं ने सीना फुलाकर कहा था कि पाकिस्तान अब इस हमले से इतना थर्रा गया है कि वह फिर कभी भारतीय सैनिकों पर घात लगाकर हमले करने की जुर्रत नहीं करेगा। पाकिस्तान ने कभी स्वीकार नहीं किया कि भारतीय सेना ने पाकिस्तानी इलाकों में सर्जिकल हमला किया है, लेकिन पाकिस्तान ने इसका टुकडों में बदला लिया।
सर्जिकल हमला के बाद अक्तूबर व नवम्बर में भारतीय सैनिकों के सिर कलम किए गए और यह तीसरा मौका है जब पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सैनिकों की बर्बर हत्या कर दी । सॢजकल स्ट्राइक करवाने वाली सरकार हर पाकिस्तानी हमले के बाद पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए यह कहती रही है कि इसका माकूल जवाब दिया जाएगा।
पाकिस्तानी सैन्य चौकियों पर लगातार भारी गोले बरसाने के सिवाय भारतीय सेना ऐसा कुछ नहीं कर सकी जिससे पाकिस्तानी सेना को यह सबक मिलता कि भारतीय सैनिकों के सिर कलम करने की बर्बरतापूर्ण कार्रवाई से बाज आए। आखिर क्या वजह है कि भारतीय सेना दोबारा पाकिस्तानी सेना के खिलाफ सर्जिकल हमला जैसी कार्रवाई करने से हिचक रही है? क्या पाकिस्तानी सेना जानबूझकर भारतीय सैनिकों के सिर कलम कर भारत सरकार को इतना उकसा देना चाहती है कि भारत कोई बड़ी सैन्य कार्रवाई करे जिसका उसी अंदाज में पाकिस्तान भी जवाब दे और फिर दोनों ओर से जवाबी हमलों का सिलसिला शुरू हो जाए? ऐसा होने पर भारत पाकिस्तान के बीच सीमित युद्ध छिडऩे की आशंका पैदा होगी और पाकिस्तानी सेना यही चाहती है।
ऐसे वक्त जब जम्मू- कश्मीर में खासकर इसके घाटी वाले इलाके में भारत विरोधी विद्रोह अपने उफान पर है और इस विद्रोह में न केवल बहके युवा पत्थरबाजी कर रहे हों बल्कि स्कूल कॉलेज की छात्राएं तक शिरकत करने लगें और सेना के वाहनों को लात मारने की जुर्रत करने लगें तो दुनिया के लिए यह समुचित संदेश है कि जम्मू-कश्मीर के हालात भारत सरकार के हाथ से बेकाबू होते जा रहे हैं। पाकिस्तानी सेना मानती है कि ऐसे वक्त जब लोहा गर्म हो तब इसे पीटने से वहां के हालात को अपने अनुकूल मोड़ सकेंगे।
akarshkumar94:
hi
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