भारतीय संस्कृति पाठ का सारांश - डॉ. राजेंद्र प्रसाद
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“भारतीय संस्कृति” भारत के प्रथम राष्ट्रपति द्वारा दिये गये भाषण परा आधारित है, जिसमें भारतीय संस्कृति की विशेषताओं पर प्रकाश डाला गया है।
इस पाठ का सारांश इस प्रकार होगा....
भारतीय संस्कृति — डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
डॉ. राजेंद्र प्रसाद कहते हैं कि भारत एक विशाल देश है और यह अपनी जीवनशैली और रहन-सहन में विविधता समेटे हुए है। लेकिन इस विविधता भरी अनेकता में भी एकता के दर्शन होते हैं। भारत अनेक तरह की भाषा, संस्कृति, धर्म, जाति वाला देश है ,लेकिन विभिन्न तरह की भाषा धर्म एवं जाति होने के बावजूद भी यह एकता के एक सूत्र में बंधा हुआ है। यही भारतीय संस्कृति की विशिष्टता है।
डॉक्टर प्रसाद कहते हैं कि यदि कोई विदेशी हमारे भारत देश में आए और भारत के एक छोर से दूसरे छोर तक यात्रा करें तो हमारे देश की विविधता से भरी संस्कृति को देखकर इस भ्रम में पड़ जाएगा कि यह कोई एक देश नहीं बल्कि कई देशों का एक समूह है। हमारे देश में बहुत अलग-अलग राज्यों की अलग-अलग संस्कृति और भाषा है।
हमारे भारत में एक तरफ उत्तर जहां उत्तर में बर्फ से ढकी विशाल हिमालय की चोटियां है तो दूसरी तरफ दक्षिण में विशाल अथाह सागर है। बीच में समतल मैदान विंध्य, अरावली, सतपुड़ा पर्वत श्रृंखलाएं हैं। हिमालय में एक तरफ कठोर भयंकर सर्दी पड़ती है, तो समतल मैदानी क्षेत्रों में गर्म हवा चलती हैं। जहां असम में वर्षा 300 इंच तक होती है, जैसलमेर में केवल 2 से 4 इंच की होती है।
भारत में अनेक तरह के फलों का उत्पादन होता है, हर तरह के पक्षी पाए जाते हैं। यहां के लोगों में लोगों के खान-पान रहन-सहन और उनकी शारीरिक बनावट में भी अंतर देखने को मिलता है। लोगों की अलग-अलग राज्यों की अलग-अलग भाषाएं हैं, अलग-अलग बोलियां हैं। भारत में कहने को तो बहुसंख्यक धर्म हिंदू है, लेकिन अन्य धर्म के लोग भी अच्छी संख्या में पाए जाते हैं। विभिन्न तरह के विचारों वाले आस्था का होने के बावजूद भारत में एकता है।
हमारे देश का माहौल अध्यात्म से परिपूर्ण है और देश में उच्च चरित्र वाले अनेक महापुरुषों ने जन्म लेकर हर तरह को गौरवान्वित किया है। हमारे देश की मूल संस्कृति अहिंसा और त्याग है। जहां अहिंसा हमें दया करना सिखाती है, त्याग हमें सुख और रोगों से दूर रहने की सीख देता है। भारत एक ऐसा देश है, जहां पर विभिन्न देशों की संस्कृति आईं और यहीं पर मिश्रित हो गईं। भारत ने सबको अपनाया। भारत में विदेशों में एकता प्रेम और भाईचारे की भावना को स्थापित किया। भले ही भारत पर बाहरी लोगों ने आक्रमण किया हो, लेकिन भारत एक ऐसा देश है जिस पर कभी किसी ने आक्रमण नहीं किया।
प्रसाद जी कहते हैं कि हमें वैज्ञानिक व औद्योगिक विकास के अंधाधुंध होने कार्यों से प्रकृति में होने वाले भयंकर परिणामों के प्रति सचेत रहना चाहिए ताकि हम अपने पर्यावरण को बचा सके। हमें विपत्तियों आने पर घबराना नहीं चाहिए। अंग्रेजों द्वारा हम पर सैकड़ों वर्ष राज करने के बाद भी हमारे देश में गांधी, टैगोर, अरविंद, रमन जैसे अनेक महापुरुषों ने जन्म लिया, जिन्होंने संसार में एक आदर्श स्थापित किया।
हमारे देश में जनकल्याण की भावना सर्वोपरि है और हमें सभी लोगों में जनकल्याण की भावना को जागृत करना होगा। हमें भारत की प्रादेशिक भाषाओं की सुंदर कृतियों को देवनागरी भाषा हिंदी में प्रकाशन करवा के सारे भारत में उसका प्रचार-प्रसार करना चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोग उससे लाभान्वित हो सकें। शाहजहां ने भी एक इमारत में लिखवाया है कि यदि पृथ्वी पर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है यहीं है यहीं है। हमें अपनी इस स्वर्ग रूपी धरा को वास्तव में स्वर्ग बनाये रखता है, और पूरे विश्व को मार्गदर्शन देकर पूरे विश्व में सत्य, अहिंसा का आदर्श स्थापित करके पूरे विश्व को ही स्वर्ग बनाना है।