Sociology, asked by maahira17, 1 year ago

भारतीय संस्कृति तथा समाज की क्या विशिष्टताएँ हैं तथा ये बदलाव के ढाँचे को कैसे प्रभावित करते हैं?

Answers

Answered by nikitasingh79
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Answer with Explanation:

भारतीय संस्कृति तथा समाज की निम्नलिखित विशिष्टताएँ हैं  

भौगोलिक विशेषताएं :  

भौगोलिक दृष्टि से भारत एक भिन्नताओं एवं विविधताओं का देश है।  देश के उत्तर में विश्व की सबसे ऊंची पर्वत श्रेणी हिमालय हैं । सिंधु, गंगा तथा ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र भारत में बहुत बड़े मैदानी क्षेत्र का निर्माण करते हैं। भारत में विश्व के सर्वाधिक वर्षा वाले क्षेत्र जैसे गारो ,खासी ,मेघालय पालमपुर आदि पाए हैं तथा बहुत शुष्क मरुस्थल जैसे थार भी पाए जाते हैं।  यहां बहुत से उपजाऊ क्षेत्रों के होने के साथ-साथ बंजर क्षेत्र भी है।  पूरे वर्ष बर्फ से ढके क्षेत्र , शुष्क , मरुस्थलीय क्षेत्र भी पाए जाते हैं। कई बहुत घना जनसंख्या क्षेत्र जैसे उत्तर प्रदेश और कई निम्न घनत्व वाले क्षेत्र जैसे सिक्किम भारत में है।

सामाजिक विशेषताएं :  

सामाजिक भिन्नताओं में समाज के मूलभूत संस्था विवाह के भिन्न-भिन्न स्वरूप देखने को मिलते हैं। कई जातियों में भ्रातक भूपति विवाह तो मुसलमानों में बहु पत्नी विवाह की प्रथा पाई जाती है । संयुक्त परिवार तथा एकाकी परिवार भी सामाजिक विविधता को दर्शाते हैं। भारत में विवाह एवं संयुक्त परिवार मुख्य परिवार व्यवस्थाएं हैं । लेकिन अधिकांश स्थानांतरित व्यक्ति अपने परिवार व अन्य सदस्यों से त्यौहारों , उत्सवों पर मिलते हैं। राष्ट्रीय पर्वों  तथा सामाजिक पर्वों को देशभर में मनाया जाना अपने आप में एकता का प्रतीक है।  

धार्मिक विशेषताएं :  

भारत में हिंदू ,बौद्ध, जैन, सिख ,मुस्लिम धर्म के लोग वैदिक एवं महाकाव्य काल से ही रह रहे हैं । फिर मुगलों के पतन के पश्चात अंग्रेजों के भारत आगमन के कारण ईसाई धर्म भी भारतीय समाज का अभिन्न अंग बन गया।  हिंदू 3000 से अधिक जातियों, मुसलमान 94 जातियों में बंटे हैं। इसी तरह ईसाइयों में प्रोटेस्ट एवं एवं कैथोलिक ,बौद्ध धर्म में हीनयान और महायान , जैनों में पीतांबर एवं श्वेतांबर संप्रदाय हैं। परंतु विभिन्न धार्मिक समूहों में कई बार दंगे भी भड़क उठते हैं।इन सबके बावजूद भारत के धार्मिक विविधता में भी आंतरिक एकता पाई जाती है। कहने को तो हिंदू ,बौद्ध ,जैन, सिख चार अलग-अलग धर्म है परंतु यह सभी धर्म हिंदू धर्म से ही निकले हैं। भारतीय मुसलमानों का भी काफी भारतीय करण हुआ है । भारत में ईसाईयों की संख्या भले ही अधिक लगती हो परंतु ईसाई मिशनरियों ने भारी संख्या में हिंदुओं को ही ईसाई बनाया है तो परंतु धर्म परिवर्तन से उनके विश्वासों एवं मूल्य आदर्शों में परिवर्तन नहीं हुआ है । होली, दिवाली ,दशहरा, ईद, गुरु पर्व , गुड फ्राइडे,  क्रिसमस सभी हर्षोल्लास से मनाते हैं

जनजाति विशेषताएं :  

देश के पहाड़ों, जंगलों तथा दुर्गम क्षेत्रों में सैकड़ों जनजाति समूह वास करते हैं । भारतीय संविधान में ही 560 जनजातियों का उल्लेख किया गया है जो कि देश में जनजाति विविधता का परिचायक है। जैसे गोंडा ,भील, मुंडा, नागा आदि। जनजाति अपनी पहचान बनाने हेतु आंदोलन का सहारा भी लेती है । नवंबर , 2000 में झारखंड ,छत्तीसगढ़ ,उत्तराखंड तथा स्वतंत्रता के बाद में मिज़ोरम, नागालैंड ,मेघालय अन्य प्रदेशों का निर्माण जनजाति संघर्ष एवं आंदोलन का प्रतिफल है। जनजाति विविधता के कारण खतरा तब पैदा होता है जब वह अलग होने के लिए आंदोलन का रास्ता अपनाती है।

जनजाति विविधता में भी एकता का निवास है। लगभग 90% जनजाति सदस्यों का हिंदुकरण हो गया है । ये लोग हिंदू देवी-देवताओं की आराधना करते हैं। इतनी बड़ी आबादी द्वारा जनजातियों द्वारा हिंदू धर्म के विश्वासों तथा अनुष्ठानों का अनुकरण करना जनजाति विभिन्नता में एकता को दर्शाता है।

इन विशेषताओं के अतिरिक्त भारतीय समाज और संस्कृति की और भी बहुत विशेषताएं होती हैं । यह सच है कि हर एक समाज तक संस्कृति में परिवर्तन आता है ।भारतीय समाज तथा संस्कृति में भी परिवर्तन आए हैं।  अगर एक कारक में परिवर्तन आते हैं तो उसका प्रभाव और कारकों पर भी प्रभाव पड़ता है।  उदाहरण के तौर पर अगर भाषीय कारक में परिवर्तन आया है तथा हिंदी के स्थान पर अंग्रेजी भाषा का प्रयोग होने लगा है तो इससे हमारे समाज तथा संस्कृति पर भी प्रभाव पड़े हैं । उनमें भी बहुत से परिवर्तन आए हैं । इस प्रकार परिवर्तन के प्रारूप को संस्कृति की विशेषताओं में आए परिवर्तन प्रभावित करते हैं।  आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।

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Answered by Anonymous
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उत्तर :-

भारत की संस्कृति सामूहिक रूप से भारत में मौजूद सभी धर्मों और समुदायों की हजारों विशिष्ट और अद्वितीय संस्कृतियों को संदर्भित करती है। भारत की भाषाएं, धर्म, नृत्य, संगीत, वास्तुकला, भोजन और रीति-रिवाज देश के भीतर जगह-जगह से भिन्न हैं। भारतीय संस्कृति, जिसे अक्सर कई संस्कृतियों के समामेलन के रूप में जाना जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप में फैली हुई है और कई सदियों पुराने एक इतिहास से प्रभावित है। भारत की विविध संस्कृतियों के कई तत्व, जैसे कि भारतीय धर्म, दर्शन, व्यंजन, भाषा, नृत्य, संगीत और फिल्में इंडोस्फियर, ग्रेटर इंडिया और दुनिया भर में गहरा प्रभाव डालते हैं।

भारतीय मूल के धर्म हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म, ये सभी धर्म और कर्म की अवधारणा पर आधारित हैं। अहिंसा, अहिंसा का एक दर्शन, मूल भारतीय विश्वासों का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जिसके सबसे प्रसिद्ध प्रस्तावक महात्मा गांधी थे जिन्होंने सविनय अवज्ञा के माध्यम से ब्रिटिश राज के खिलाफ भारत को एक साथ लाया और इस दर्शन ने मार्टिन लूथर किंग, जूनियर को अमेरिकी नागरिक अधिकारों के लिए प्रेरित किया। आंदोलन। अब्राहमिक धर्मों जैसे कि यहूदी धर्म, ईसाई धर्म और इस्लाम सहित विदेशी मूल धर्म, भारत में भी मौजूद हैं, साथ ही साथ जोरोस्ट्रियनवाद और बहाई विश्वास दोनों इस्लाम द्वारा उत्पीड़न से बच रहे हैं।

भारत में विभिन्न संस्कृति वाले 29 राज्य हैं और दुनिया में दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है। भारतीय संस्कृति, जिसे अक्सर कई विभिन्न संस्कृतियों के समामेलन के रूप में जाना जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप में फैली हुई है और एक ऐसे इतिहास से प्रभावित और आकार लेती है जो कई हजार साल पुराना है। भारत के इतिहास के अनुसार, भारतीय संस्कृति धर्मिक धर्मों से बहुत अधिक प्रभावित हुई है। । उन्हें भारतीय दर्शन, साहित्य, वास्तुकला, कला और संगीत के बहुत से आकार देने का श्रेय दिया जाता है। ग्रेटर इंडिया भारतीय उपमहाद्वीप से परे भारतीय संस्कृति की ऐतिहासिक सीमा थी। यह विशेष रूप से आम युग की प्रारंभिक शताब्दियों के दौरान यात्रियों और समुद्री व्यापारियों द्वारा सिल्क रोड के माध्यम से भारत से एशिया के अन्य हिस्सों में हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, वास्तुकला, प्रशासन और लेखन प्रणाली के प्रसार की चिंता करता है। पश्चिम में, ग्रेटर इंडिया हिंदू कुश और पामीर पर्वत में ग्रेटर फारस के साथ ओवरलैप करता है। सदियों से, भारत में बौद्ध, हिंदू, मुस्लिम, जैन, सिख और विभिन्न जनजातीय आबादी के बीच संस्कृतियों का महत्वपूर्ण संलयन हुआ है।

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