भारतीय संदर्भ में टाइप फाउंड्री के इतिहास को संक्षेप में लिखें।
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भारतीय संदर्भ में टाइपोग्राफी का इतिहास भारतीय इतिहास में टाइप डिजाइन करने के साक्ष्य अनेक पुरानी पांडुलिपियों से प्राप्त होते हैं। ये पांडुलिपियां हस्त लेखन की शैली जैसे कि कैलीग्राफी पर आधारित थीं। यूरोपीय विद्वानों और ईसाई धर्म प्रचारकों आदि ने भारतीय पुस्तकों के लिए टाइपफेस बनाने और कंपोज करने की प्रौद्योगिकी के विकास का कार्य बखूबी किया था। वह काल भारतीय उपमहाद्वीप में साक्षरता के विकास के लिये काफी प्रगतिशील समय माना जाता था। यूरोप के देशों में भी टाइप तैयार करने तथा छापने के अनेक प्रयास उस समय दिखाई देने लगे थे, लंदन में बी एंड जे फिगिन्स - देवनागरी (1884), जर्मनी में तमिल टाइप की कटाई (1716) और श्लेगल्स देवनागरी, बोनी (1848), और रोम में देवनागरी टाइपकास्ट (1771) आदि इसके उदाहरण हैं।
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पाठ - 8 : “धातु की चल टाइप से डिजिटल इमेंजिंग तक”
विषय : ग्राफिक डिजायन - एक कहानी [कक्षा - 11]
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