भारतीय संविधान की किन्हीं तीन विशेषताओं का वर्णन कीजिए ?
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भारत के संविधान निर्माताओं ने इस देश की ऐतिहासिक सामाजिक धार्मिक तथा राजनीतिक परिस्थितियों को दृष्टिगत रखकर संविधान का निर्माण किया भारत के संविधान की अपनी विशेषताएं हैं जो हमसे विश्व के अन्य सुविधाओं से अलग करती है यदि इसमें विश्व के महत्वपूर्ण संविधान के सर्वश्रेष्ठ गुणों को समाहित किया गया है तथा भी इसमें भारतीय परिस्थितियों के अनुसार आवश्यक परिवर्तन के साथ ही अन्य सभी धानों के लक्षणों का समावेश भी किया गया भारत के संविधान निर्माता अंबेडकर ने कहा था कि भारतीय संविधान व्यवहारी के इस में परिवर्तन की क्षमता है और इसमें शांति काल में युद्ध काल में देश की एकता को बनाए रखने की भी सामर्थ्य भी हैं_
भारत के संविधान की प्रमुख विशेषताएं (Major characteristics of the Constitution of India )
1 लोकप्रिय प्रभुसत्ता पर आधारित संविधान
भारत का संविधान लोकप्रिय प्रभुसत्ता पर आधारित संविधान है अर्थात यह भारतीय जनता द्वारा निर्मित संविधान एक संविधान द्वारा अंतिम शक्ति भारतीय जनता को प्रदान की गई हैं। संविधान की प्रस्तावना में कहा गया हम भारत के लोग दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज दिनांक 26 नवंबर 1949 को एतद्द्वारा इस संविधान को अंगीकृत अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं इस प्रकार भारत का संविधान भारत शासन अधिनियम 1935 की तरह बाहरी शक्ति की करती नहीं वरन भारतीय जनता द्वारा निर्मित अधिनियमित अंगीकृत है
2 उददेशिका(प्रस्तावना)
भारत के संविधान के मौलिक उद्देश्य एवं लक्ष्य को संविधान की प्रस्तावना में दर्शाया गया है डॉक्टर के एम मुंशी ने इस संविधान की राजनीतिक कुंडली का इसके महत्व के कारण इसे संविधान की आत्मा कहा जाता है भूल प्रस्तावना में समाजवादी पंथनिरपेक्ष और अखंडता शब्दों को 42वें संविधान संशोधन 1976 के द्वारा जोड़ा गया डॉक्टर के एम मुंशी ने संविधान की प्रस्तावना की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख करते हुए कहा था इसमें राष्ट्र की एकता और व्यक्ति की गरिमा को विशेष महत्व दिया गया है
3 विश्व का सबसे बडा संविधान
संविधान को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है– लिखित, जैसे–अमेरिकी संविधान, और; अलिखित, जैसे- ब्रिटेन का संविधान। भारत का संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है। यह बहुत वृहद समृद्धि और विस्तृत दस्तावेज है।
भारत का संविधान विश्व का सर्वाधिक व्यापक संविधान में मूल रूप (1949) में 395 अनुच्छेद 8 अनुसूचियां थी वर्तमान में (2016) इसमें एक प्रस्तावना में संवैधानिक संशोधनों के बाद इसमें 465 अनुच्छेद (25 भागों में विभक्त) और 12 अनुसूचियां हैं। विश्व के किसी अन्य संविधान में इतने अनुच्छेद और अनुसूचियां नहीं है|
संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के संविधान में 7 कनाडा के संविधान में 147 ऑस्ट्रेलिया के संविधान में 128 दक्षिण अफ्रीका के संविधान में 153 स्विजरलैंड के संविधान में 195 अनुच्छेद है
भारत के संविधान को विस्तृत बनाने के पीछे निम्न चार कारण है
भौगोलिक कारण, भारत का विस्तार और विविधता।
ऐतिहासिक, इसके उदाहरण के रूप में भारत शासन अधिनियम, 1935 के प्रभाव को देखा जा सकता है। यह अधिनियम बहुत विस्तृत था।
जम्मू-कश्मीर को छोड़कर केंद्र और राज्यों के लिए एकल संविधान।
संविधान सभा में कानून एक्सपर्ट का प्रभुत्व।
4 लिखित एवं निर्मित संविधान
समय-2वर्ष 11माह 18 दिन
5 सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य
संविधान में यह स्पष्ट किया गया है कि भारत अपने आंतरिक और बाह्य मामलों में संपूर्ण रूप से स्वतंत्र हमारे भारत में यह प्रभुसत्ता संपन्न देश है देश की प्रभुसत्ता जनता में नींदे शासन जनता का जनता के द्वारा जनता के लिए चलाया जाता है आप लोकतांत्रिक पद्धति को अपनाया गया है भारत गणराज्य है क्योंकि यहां का राष्ट्राध्यक्ष वंशानुगत नहीं वरन जनता द्वारा प्रत्यक्ष रुप से एक निश्चित अवधि के लिए निर्वाचित किया जाता है