Hindi, asked by sumankhare1243, 2 months ago

भारतीय संविधान के निर्माण में प्रमुख व्यक्तियों के योगदान का वर्णन कीजिए​

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Answered by manitaBharti
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Answer:

ऐसा लेख पत्र या दस्तावेज जो सरकार की रुपरेखा व प्रमुख कृत्यों का निर्धारण करता है, इसे देश की सर्वोत्तम आधारभूत विधि कहा जा सकता है। यह वही दस्तावेज है, जो राज्य के समस्त अंगोँ (विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका) को शक्तियाँ प्रदान करता है। इन तीनो को संविधान की मर्यादाओं मेँ रहकर अपने कर्तव्योँ का निर्वहन करना होता है। इसे आसानी से बदला नहीँ जा सकता है।

अंग्रेजी भाषा के कांस्टिट्यूशन शब्द की उत्पत्ति लैटिन शब्द कांस्टिट्यूट से हुई, जिसका अर्थ शासन करने वाला सिद्धांत है।

जिस देश का शासन जिन नियमों एवं सिद्धांतों के अनुसार चलता है, उन सिद्धांत या नियमों को समूह को संविधान कहा जाता है।

संविधान इन कानूनों या नियमों के समूह को कहते हैं, जो प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप से राज्य की सर्वोच्च सत्ता की शक्ति के वितरण और प्रयोग को निश्चित करता है।

आधुनिक युग मेँ संसार मेँ सर्वप्रथम लिखित संविधान संयुक्त राज्य अमेरिका का है जो, 1787 मेँ फिलाडेल्फिया सम्मेलन के बाद बनाया गया था।

यूरोप मेँ सबसे पहला संविधान नीदरलैंड मेँ बना जो वर्तमान मेँ विद्यमान है।

संविधान की परिभाषा

संविधान एक मौलिक दस्तावेज एवं देश की सर्वोच्च विधि माना जाता है।

यह राज्य के अंगों की शक्तियोँ का निर्धारण एवं करता है।

यह आज के अंगोँ को अधिकार को मर्यादित कर उन्हें निरंकुश एवं तानाशाह होने से रोकता है।

वस्तुत का संविधान देश की जनता की आशाओं एवं आकांक्षाओं का पुंज होता है।

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संविधान का उद्देश्य

सरकार के अंगो का सृजन करना जैसे – विधान पालिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका आदि।

सरकार के अंगो की शक्तियों जैसे – कर्तव्यों, दायित्वों आदि को निर्धारित करना।

सरकार के सभी अंगो के बीच संबंधोँ को स्पष्ट करना।

संविधान का प्रयोग

संविधान का निर्माण सर्वप्रथम एथेंस (यूनान) से हुआ था। आधुनिक युग में अमेरिका का संविधान बना जो लिखित रुप मेँ था।

इंग्लैण्ड को संसदीय सरकार का उद्गम स्थान कहा जाता है एवं संयुक्त राज्य अमेरिका को अध्यक्षात्मक सरकार का जन्मदाता मानते हैं, तथा स्विट्ज़रलैंड को गणतंत्रीय लोकतंत्र की जननी कहा जाता है।

नागरिको के मौलिक अधिकार एवं मौलिक कर्तव्यों, नीति निर्देशक तत्वों आदि का उल्लेख करना।

संविधान निर्माण की क्रमिक मांग

Answered by anwarshahidgul0143
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पंडित जवाहर लाल नेहरू

हमारे पहले प्रधानमंत्री थे नेहरू। हम इन्हीं के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में 14 नवंबर को मनाते हैं। ये संविधान सभा में राज्यों की समिति, संघीय शक्ति समिति और संघीय संविधान समिति के अध्यक्ष थे। इन्हें आधुनिक भारत का निर्माता कहा जाता है। आजादी की लड़ाई में कूदने से पहले यह इलाहाबाद हाई कोर्ट में वकालत करते थे।

सरदार वल्लभ भाई पटेल

लौहपुरुष के नाम से विख्यात सरदार पटेल मूलभूत अधिकारों, अल्पसंख्यक और कबाइली क्षेत्रों की सलाहकार समिति के अध्यक्ष थे। संविधान के निर्माण और भारत को आजादी के बाद एक झंडे के तले लाने में इनकी भूमिका सर्वोपरि है। आजादी के समय हमारा देश अलग-अलग रियासतों में बंटा था और सरदार पटेल ने इन्हें एकजुट किया। इन्होंने सत्याग्रह और आजादी की लड़ाई में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 को तत्कालीन बॉम्बे प्रेसीडेंसी में हुआ था। ये भी पेशे से वकील थे। ये भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री थे। इनका निधन 15 दिसंबर 1950 को हुआ।

आचार्य जे बी कृपलानी

इन्हें आचार्य कृपलानी के नाम से जाना जाता है। ये संविधान सभा में मूलभूत अधिकारों की उपसमिति के अध्यक्ष थे। इनका जन्म 11 नवंबर 1888 को हुआ था। ये मशहूर गांधीवादी, समाजवादी, पर्यावरणविद् और जमीन से जुडे़ स्वतंत्रता सेनानी थे। इन्होंने बिहार के मुजफ्फरपुर कॉलेज, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया था। इनका निधन 19 मार्च 1982 को हुआ। इनकी पत्नी सुचेता कृपलानी देश की पहली महिला

मुख्यमंत्री थीं।

सरोजिनी नायडू

भारत कोकिला के नाम से मशहूर सरोजिनी नायडू संविधान सभा की सदस्या थीं। वे संविधान सभा की पहली बैठक में मौजदू थीं। बंगाल विभाजन के दौरान ये कांग्रेस में शामिल हुईं और आजादी की लड़ाई में सक्रिय रहीं। इनका जन्म हैदराबाद में 13 फरवरी 1879 को हुआ और निधन 70 साल की उम्र में 2 मार्च 1949 को हुआ।

गोविंद वल्लभ पंत

गोविंद वल्लभ पंत का जन्म अल्मोड़ा के पास 10 सितंबर 1887 को हुआ था। ये पेशे से वकील थे। इन्हें स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने के कारण कई बार जेल जाना पड़ा। भारत छोड़ों आंदोलन के दौरान इन्हें अहमदनगर किले में तीन साल कैद में काटने पडे़ थे। इन्हें भारतरत्न से सम्मानित किया गया। इन्होंने भाषायी आधार पर राज्यों को एकीकृत करने का काम किया। ये वर्ष 1955 से 1961 तक केंद्रीय मंत्री भी रहे। इनका निधन 7 मार्च 1961 को हुआ था।

डॉं. बी आर अंबेडकर

ये संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति के अध्यक्ष थे। इन्हें बाबा साहेब के नाम से भी जाना जाता है। इनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को हुआ था। इन्हें संविधान का निर्माता माना जाता है। संविधान तैयार करने में इनका सबसे अधिक योगदान रहा है। इन्होंने जीवन भर अस्पृश्यता के खिलाफ संघर्ष किया। जीवन के अंतिम क्षणों में इन्होंने बौद्ध धर्म स्वीकार किया।

शरत चंद्र बोस

संविधान सभा के सदस्य थे। इनका जन्म 6 सितंबर 1889 को हुआ था। ये एक वकील और स्वतंत्रता सेनानी थे। ये नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बड़े भाई थे। इनका निधन 20 फरवरी 1950 को हुआ। इन्होंने भारत छोड़ों आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था।

सी राजगोपालाचारी

इन्हें राजाजी के नाम से जाना जाता है। ये संविधान सभा की पहली बैठक में उपस्थित थे। इनका जन्म 10 दिसंबर 1878 को हुआ। ये स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय गवर्नर जनरल थे। ये प्रसिद्ध वकील, स्वतंत्रता सेनानी, लेखक, दार्शनिक और राजनीतिज्ञ थे। इन्होंने अपनी पुत्री लक्ष्मी का विवाह गांधी जी के पुत्र देवदास गांधी से कराया था। ये मद्रास के मुख्यमंत्री, भारत के गृहमंत्री और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे। इनका निधन 25 दिसंबर 1972 को हुआ।

इनका योगदान भी कम नहीं...

डॉं. सच्चिदानंद सिन्हा- संविधान सभा के अस्थायी अध्यक्ष थे। 20 साल की उम्र में इन्होंने बिहार को अलग राज्य बनाने के लिये आंदोलन छेड़ा था। 1936-1944 तक पटना विश्वविद्यालय के उपकुलपति रहे।

ए कृष्णास्वामी अय्यर- संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति के 6 सदस्यों में से एक थे। ये मद्रास के एडवोकेट जनरल थे।

बी पट्टाभि सीतारमैया- संविधान सभा में हाउस कमेटी के अध्यक्ष थे। 1952 -1957 तक मध्यप्रदेश के राज्यपाल रहे।

के एम मुंशी- भारतीय विद्या भवन की स्थापना की। ये साहित्यकार थे। संविधान सभा में ऑर्डर ऑफ बिजनेस कमेटी के अध्यक्ष थे।

जी वी मावलंकर- संविधान सभा की कार्रवाई समिति के अध्यक्ष थे। ये लोकसभा के पहले अध्यक्ष थे।

एच सी मुखर्जी- संविधान सभा में अल्पसंख्यकों की उपसमिति के अध्यक्ष थे। पश्चिम बंगाल के पहले राज्यपाल बने।

गोपीनाथ बारदोलोई- संविधान सभा में नार्थ-ईस्ट फ्रंटियर ट्राइबल एरिया एंड असम की उपसमिति के अध्यक्ष थे।

ए वी ठक्कर- संविधान सभा में असम को छोड़कर

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