भारतीय संविधान के विस्तार को प्रभावित करने वाले कारकों को स्पष्ट कीजिए
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भारत, संसदीय प्रणाली की सरकार वाला एक प्रभुतासंपन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतंत्रात्मक गणराज्य है. यह गणराज्य भारतीय संविधान द्वारा शासित है. भारतीय संविधान संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर 1949 को पारित हुआ और 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ. बाबासाहेब डॉ भीम राव अंबेडकर को भारत का संविधान निर्माता कहा जाता है. वे संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष थे और उन्हें संविधान का फाइनल ड्राफ्ट तैयार करने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन लगे. पूरे देश में 26 नवंबर को संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाता है. जानें आखिर किन वजहों से भारतीय संविधान है खास और एक आम इंसान इसे किस तरह जाने....
1. संविधान में प्रशासन या सरकार के अधिकार, उसके कर्तव्य और नागरिकों के अधिकार को विस्तार से बताया गया है.
2. मसौदा तैयार करने वाली समिति ने संविधान हिंदी और अंग्रेजी में हाथ से लिखकर कैलिग्राफ किया था और इसमें कोई टाइपिंग या प्रिंटिंग शामिल नहीं थी.
3. 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूची, 5 परिशिष्ट और 100 संसोधनों के साथ दुनिया का सबसे बड़ा संविधान हैं.
4. संविधान में सरकार के संसदीय स्वरूप की व्यवस्था की गई है जिसकी संरचना कतिपय एकात्मक विशिष्टताओं सहित संघीय हो. केन्द्रीय कार्यपालिका का सांविधानिक प्रमुख राष्ट्रपति है.
संविधान में संशोधन...संशोधन के प्रस्ताव की शुरुआत संसद में होती है जहां इसे एक बिल के रूप में पेश किया जाता है. इसके बाद इसे संसद के प्रत्येक सदन के द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए. प्रत्येक सदन में (1) इसे उपस्थित सांसदों का दो तिहाई बहुमत और मतदान प्राप्त होना चाहिए और (2) सभी सदस्यों (उपस्थित या अनुपस्थित) का साधारण बहुमत प्राप्त होना चाहिए. इसके बाद विशिष्ट संशोधनों को कम से कम आधे राज्यों की विधायिकाओं के द्वारा भी अनुमोदित किया जाना चाहिए. एक बार जब सभी अन्य अवस्थाएं पूरी कर ली जाती हैं, संशोधन के लिए भारत के राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त की जाती है, परन्तु यह अंतिम प्रावस्था केवल एक औपचारिकता ही है.
Answer:
भारतीय संविधान के विस्तार को प्रभावित करने वाले कारक
Explanation:
I. स्वशासी राजव्यवस्था
- एक राष्ट्रीय क्षेत्र है जो राज्य संस्थानों के प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र की सीमाओं को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है।
- राज्य के क्षेत्र से बाहर काम करने वाले अभिनेता निर्वाचित अधिकारियों को बाध्यकारी निर्णय लेने से नहीं रोकते हैं।
- संविधान और अन्य कानूनी नियम सभी समूहों और क्षेत्रों पर प्रभावी रूप से लागू होते हैं।
II स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव
- चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से होते हैं और उनके परिणाम अनिश्चित होते हैं।
- जो लोग सार्वजनिक प्राधिकरण और प्रमुख विपक्षी दलों के पदों पर हैं वे इन चुनावों के परिणामों का सम्मान करते हैं।
- समावेशी चुनाव राजनीतिक प्रतिनिधित्व के सभी स्तरों पर यथोचित रूप से और नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं।
III लोकतांत्रिक संविधान:
- संविधान सभी नागरिकों के लिए समान राजनीतिक अधिकार और नागरिक स्वतंत्रता प्रदान करता है और इन्हें व्यवहार में देखा जाता है।
- शक्तियों का विभाजन होता है और राज्य संस्थानों के बीच औपचारिक समानता संविधान द्वारा लागू की जाती है।
- लोकतांत्रिक संविधान का नया मसौदा तैयार किया गया है और इसकी पुष्टि की गई है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता:
- शासन में कोई राजनीतिक कैदी नहीं है, और राजनीतिक आतंक और यातना अनुपस्थित हैं।
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है और शासन अपने आलोचकों (जैसे काम से बर्खास्तगी, कानूनी मुकदमा, समाचार पत्रों और टीवी स्टेशनों को बंद करना) के खिलाफ दंड के साथ जवाबी कार्रवाई नहीं करता है।
- सभा की स्वतंत्रता और हड़ताल के अधिकार के लिए कानूनी गारंटी है (आवश्यक सेवाएं प्रदान करने वालों को छोड़कर)।
#SPJ2