भारतीय दार्शनिकों के चिन्तन के कितने आयाम हैं ?
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इसमें मूल स्वर प्राचीनता से पुनः जुड़ाव का हैं. क्योंकि वैचारिक आयाम भारत को उसकी प्रामाणिक अर्थवता प्रदान करते हैं. ये आयाम भारतीय अस्मिता व अस्तित्व का हैं. कौटिल्य, मनु, व्यास और अन्य कथित प्राचीन विचारक उन विचारों तथा भारतीय दर्शन प्रक्रिया का करते है जो परवर्ती काल में बार बार मुखरित होती हैं.
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