भारत युवाओं का देश है अनुच्छेद
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Answer:पुरानी पीढ़ियां अक्सर युवाओं को आवेगपूर्ण और गुस्सैल स्वभाव के कारण गंभीरता से नहीं लेती हैं। वे यह नहीं समझ पाते हैं की उनका यह स्वभाव मुख्य रूप से इस चीज़ का परिणाम है कि उनकी कैसे परवरिश की गई है। इस प्रकार प्रत्येक पीढ़ी का अपनी अगली पीढ़ी को शिक्षित करने का कर्तव्य है ताकि वे उन्हें और राष्ट्र को गर्व करने का मौका दे सकें।
जिम्मेदार युवा कैसे तैयार करें?
इस दुनिया में मुख्य रूप से दो प्रकार के लोग हैं – पहले वो जो जिम्मेदारी से काम करते हैं और निर्धारित मानदंडों का पालन करते हैं और दूसरे वो जो मानदंडों पर सवाल उठाते हैं और गैर जिम्मेदार रूप से काम करते हैं। हालांकि तर्क के आधार पर मानदंडों पर सवाल उठाने में कुछ भी गलत नहीं है लेकिन गैर जिम्मेदारियों से कार्य करना स्वीकार्य नहीं है। आज के युवाओं में बहुत सी क्षमताएं हैं और यह माता-पिता और शिक्षकों का कर्तव्य है कि वे सही दिशा में उनकी रचनात्मकता और क्षमता को निर्देशित करें। यहां कुछ चीजें बताई हैं जिनसे आप जिम्मेदार युवाओं को तैयार कर सकते हैं:
प्रारंभिक शुरुआत करें
अपने बच्चे को नैतिक मूल्यों या और काम सिखाने के लिए उनकी 10 या 10 साल से अधिक की उम्र के लिए इंतजार न करें। इसकी शुरुआत तब करें जब वे बच्चे हो। उन्हें सिखाएं कि कैसे सार्वजनिक रूप से व्यवहार करें, अलग-अलग कार्य और अन्य चीजों को एक शुरुआती उम्र से कैसे संभाले। बेशक उन्हें कुछ भी पढ़ाते वक्त या उनके द्वारा किए किसी कार्य को जांचने के दौरान उनकी आयु को ध्यान में रखें।
नैतिक मूल्यों को प्रोत्साहित करें
यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने बच्चों को क्या सही है और क्या गलत है इसके बारे में सिखाएं। उनकी उम्र के आधार पर उन्हें समय-समय पर नैतिक शिक्षा दें। इसके साथ ही उन्हें बुरे व्यवहार या कार्यों के परिणाम पता करें।
उन्हें मदद करने की अनुमति दें
अपने बच्चों को हर समय लाड़-प्यार करने की बजाए उन्हें आपकी सहायता करने दें। छोटे कार्यों को उन्हें करने दें जैसे कि आप खाने की मेज व्यवस्थित करने या फलों और सब्जियों को अलग करने या खिलौने को सही जगह पर रखने में उनसे मदद ले सकते हैं। यह उनमें ज़िम्मेदारी की भावना को जन्म देता है और उन्हें जीवन में बड़ी जिम्मेदारियों को लेने के लिए तैयार करता है।
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