भारतभूषण सांघीवाल की काव्य-भाषा पर प्रकाश डालिए
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प्रस्तुत पुस्तक हरियाणवी सांगो की एक रचनावली है जिसमे पंडित राजेराम जी के सांगो को सूचीबद्ध किया गया है। इससे पूर्व शंकरलाल यादव, साधुराम शारदा, राजाराम शास्त्री, देवीशंकर प्रभाकर, कृष्णचन्द्र शर्मा, राजेंद्र स्वरूप वत्स, डॉ पूर्णचंद शर्मा, लक्ष्मीनारायण वत्स, डॉ बाबूलाल, डॉ लालचंद गुप्त, डॉ रामपत यादव, बी.ऐ. की पाठ्यक्रम मे संकलित हरियाणवी लोकधारा एवं अन्य अति सहायक पुस्तकों आदि के साहित्य से सहायता लेकर यह वर्गीकरण किया गया है। हरियाणा में संगीतकारों की एक लम्बी परम्परा रही है। यह इतनी विस्तृत प्रणाली है कि यदि इसका समुचित रूप से वर्णन किया जाए तो कई ग्रन्थों की रचना हो सकती है। अधिकतर ऐसे लोक-कवि एवं सांगी हुए है, जिनका साहित्य अब उपलब्ध नहीं है। हरियाणवी लोक-कवियों में कुछ ऐसे भी जन-कवि हुए है जिन्होंने सांगों को स्वयं मंचन नहीं किया लेकिन उन्होंने सांगों की रचना की है।
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