भारतवर्ष में कानून को किस रूप में देखा गया है
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भारतवर्ष में कानून को नागरिकता संशोधन विधेयक रूप में देखा गया है।
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भारत वर्ष में कानून को धर्म के रूप में देखा गया है।
- धर्म व कानून में अंतर है। कानून को धोखा दिया जा सकता है परन्तु धर्म को नहीं।
- भारत में अधिकांश लोग धर्म भीरू है। वे कानून की कमियों का फायदा उठाते है।
- भारत में उच्च वर्ग के लोग जैसे भी ही परन्तु ऐसे भी लोग है जो धर्म को मानते है, धर्म को कानून से बड़ा समझते है।
- लोग आज भी सेवा करने में, दूसरों के दुख दूर करने में, सहायता करने में विश्वास रखते है, मानवता आज दब जरूर गई है परन्तु खत्म नहीं हुई है।
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