भारतवर्ष महान कैसे है एक अनुच्छेद में लिखिए
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भारत संसार के प्राचीनतम देशों में से एक है । भारत की भूमि में समन्वय की विशिष्ट भावना समाई हुई है। यही कारण है कि आर्य, द्रविड़, शक, कुषाण आदि अनेकानेक सभ्यताएं और संस्कृतियाँ यहाँ की धरती में घुल-मिल गई हैं। इसी कारण भारत के लिए “अनेकता में एकता” जैसे विशेषणों का प्रयोग होता है। इन्हीं तमाम संस्कृतियों के मिले-जुले प्रभाव और ज्ञान की अपार संपदा के कारण भारत को विश्व गुरु की पदवी प्राप्त हुई है ।
यह भारत देश ही है जिसने विश्व को शून्य जैसे आविष्कार से परिचित कराया जिस कारण आज विज्ञान उन ऊंचाइयों तक पहुँच सका जहां आज वह चाँद पर कदम रखने योग्य हो पाया है । यह भारत ही है जिसने विश्व को वेद और उपनिषद जैसा ज्ञान दिया जिन ग्रन्थों में मन के भीतर छुपे गूढ ज्ञान और दर्शन के अमूल्य ज्ञान का भंडार निहित है ।
हमारे लिए यह अत्यंत गर्व की बात है कि हमने उस धरती पर जन्म लिया जो भगवान राम और कृष्ण की बाल लीलाओं की साक्षी रही है । जिसने अर्जुन का पराक्रम देखा है, हनुमान की भक्ति देखी है, बुद्ध का वैराग्य देखा है, विवेकानंद का तेज देखा है और स्वामी दयानंद का अद्भुत ज्ञान देखा है । इस भारत भूमि की महत्ता स्वर्ग से भी अधिक है। जिस धरती पर भगवान विष्णु ने दस रूपों में अवतार लिया, उसी धरती पर जन्म लेने वाले हम भारतवासी सचमुच बहुत ही भाग्य शाली हैं।
भारत देश का नाम शकुंतला के पुत्र भरत के नाम पर पड़ा है । प्राचीन काल में आर्य निवासियों के कारण इसे “आर्यवृत्त’ भी कहा जाता है । बाद में पश्चिम में बहने वाली सिंधु नदी के नाम पर इसे हिंदुस्तान भी कहा गया ।