Hindi, asked by deathrangeff, 2 months ago

भीष्म पितामह का जीवन दुविधाग्रस्त क्यों बना रहा ?​

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Answered by jatinindia1512
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गंगापुत्र भीष्म का जन्म माघ माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि के दिन हुआ था. भीष्म पितामह राजा शांतनु और गंगा के पुत्र थे. इनका वास्तविक नाम देवव्रत था. गंगा पुत्र भीष्म ने आजीवन ब्रह्मचारी रहने की प्रतिज्ञा की थी. जिससे उन्होंने अपनी मृत्यु को अपने अधीनस्थ कर लिया था. अपनी माता के वचन के कारण जब उनके पिता ने उन्हें नदी में बहाने से बचा लिया था तब गंगा भीष्म को अपने साथ ले गई थी और उन्होंने राजा से कहा कि जब वह 16 वर्ष के हो जाएंगे तब उन्हें वापस उन्हें सौंप देंगी. इस दौरान गंगा यह सुनिश्चित करेगी की एक अच्छा राजा बनने के लिए सच्ची शिक्षा मिले. गंगा अपने पुत्र भीष्म को लेकर चली गई. महाराज शांतनु उदासीन और हताश हो गए. और 16 साल बाद गंगा ने उनके पुत्र भीष्म को लाकर महाराज शांतनु को सौंप दिया.

भीष्म के गुरु भगवान परशुराम थे. देवव्रत ने परशुराम जी सही तीरंदाजी और बृहस्पति के वेदों का ज्ञान प्राप्त किया था. परशुराम जी ने उन्हें हर वह ज्ञान प्रदान किया था जो एक दायित्ववान राजा की जिम्मेदारियों के लिए जरूरी था.

Bhishma Pitamah small Biogrphy in Hindi

भीष्म एक महान योद्धा थे. सभी अन्य योध्या उनसे युद्ध करने से डरते थे क्योंकि उन्हें हरा पाना असंभव था. किसी कारण भगवान परशुराम और भीष्म के बीच में भी एक बार युद्ध हुआ था. परंतु इस युद्ध का कोई परिणाम नहीं निकला. इस युद्ध में किसी की भी विजय नहीं हो रही थी. इस युद्ध से होने वाले नुकसान को देखते हुए भगवान शिव ने युद्ध को रोक दिया.

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Answered by LaLiSa1648
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Answer:

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