Hindi, asked by mahising1985, 1 year ago

भाषा निबन्ध -प्रिय पर्व (350शब्द )​

Answers

Answered by shwetajha41
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Bhasa ak ashi chij jo hum sab roj apne ghar prayog karate hai.

Answered by sehaj0001
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भारत एक विशाल देश है जहाँ विभिन्न धर्मों व संप्रदायों के मानने वाले लोग रहते हैं। अत: यहाँ मनाए जाने वाले पर्व भी अनेक हैं । दीपावली, होली, रक्षाबंधन व विजयदशमी हिंदुओं के चार प्रमुख त्योहार हैं ।

वैसे तो प्रत्येक त्योहार का अपना एक विशेष महत्व है परंतु इन सब में दीपावली का त्योहार मुझे विशेष रूप से प्रिय है । यह त्योहार हिंदुओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है । दीपावली प्रत्येक वर्ष हिंदी महीनों के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती है ।

दीपावली का पर्व वास्तविक रूप में अनेक पर्वों का एक समूह है । इस पर्व के साथ धनतेरस, गोवर्धन पूजा, विश्वकर्मा दिवस तथा भैया दूज का पर्व भी मनाया जाता है । धनतेरस का पर्व दीपावली के प्रमुख दिन से दो दिन पूर्व अर्थात् त्रयोदशी के दिन मनाया जाता है ।

इस दिन नए बरतन तथा आभूषण आदि खरीदने की परंपरा है । इसके पश्चात् चतुर्दशी के दिन छोटी दीपावली मनाई जाती है । तत्पश्चात् अमावस्या की रात्रि को दीपावली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है । प्रतिपदा को विश्वकर्मा दिवस तथा गोवर्धन पूजा होती है । द्‌वितीया को भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक भैया दूज मनाई जाती है ।

दीपावली का धार्मिक, पौराणिक तथा सामाजिक सभी दृष्टि में विशेष महत्व है । इसे मनाने हेतु यह पौराणिक कथा प्रचलित है कि इस दिन श्रीराम लंका के आततायी राजा रावण का वध करने के उपरांत अयोध्या को लौटे थे । अयोध्या की प्रजा ने चौदह वर्षों के उनके वनवास के पश्चात् अयोध्या वापस लौटने पर घी के दीपक जलाकर उनका हार्दिक अभिनंदन किया ।

श्रीराम के सीता तथा लक्ष्मण सहित लौटने तथा उनके अयोध्या की गद्‌दी ग्रहण करने की खुशी को व्यक्त करने हेतु वहाँ की प्रजा ने घरों में घी के दीपक जलाए । तभी से परंपरागत रूप से प्रतिवर्ष इसी दिन हम इस त्योहार को बड़ी धूमधाम से मनाते चले आ रहे हैं ।

दीपावली के कई दिन पूर्व ही इसकी तैयारियाँ प्रारंभ हो जाती हैं । सभी लोग अपने घरों की सफाई करते हैं तथा उसकी लिपाई-पुताई व नए रंगों से रंगाई कराते हैं । अमावस्या की रात्रि को सर्वप्रथम गणेश तथा लक्ष्मी का पूजन होता है व सभी ओर घरों में दीप जलाए जाते हैं ।

आधुनिक समय में रंग-बिरंगे विद्‌युत प्रकाश का महत्व बढ़ता जा रहा है । धनतेरस से लेकर भैया दूज तक बाजारों की चहल-पहल देखते ही बनती है । चारों ओर सजी दुकानें, साफ-सुथरे दमकते हुए घर, रंग-बिरंगी पोशाकों में दिखते लोग इस पर्व के महत्व को और बढ़ा देते हैं । बच्चों में इसका विशेष उल्लास देखने को मिलता है । दीपावली के दिन पटाखे छुटाते हुए उनके हर्ष और उल्लास को भली-भाँति अनुभव किया जा सकता है ।

दीपावली की प्राचीनता को देखते हुए यह कहा जा सकता है इस पर्व के मनाने का समय ही कुछ ऐसा है कि मनुष्य नए मौसम के हिसाब से अपने को ढाल सके । इस समय कुछ कीट अनावश्यक रूप से उत्पन्न होते हैं जो दीपक की लौ के साथ नष्ट हो जाते हैं । परंतु जिस तरह से आजकल यह प्रकाश पर्व ध्वनि पर्व बनता जा रहा है, वह पूरे समाज के लिए चिंता की बात है ।

दीपावली का त्योहार खुशियों का त्योहार है । यह हमें समाज में फैली अनेक बुराइयों के अंधकार को समाप्त कर अच्छाइयों के प्रकाश की ओर ले जाने हेतु प्रेरित करता है। दीपावली पर कुछ लोग इस मान्यता के साथ जुआ खेलते हैं कि इस दिन जुआ खेलना शुभ होता है ।

परिणामस्वरूप खुशी का यह त्योहार उनके लिए तब अभिशाप बन जाता है जब वे अगली सुभा तक अपनी गाड़ी संपत्ति लुटा चुके होते हैं । दूसरी ओर इस दिन कुछ लोग स्वयं को शराब में डुबोकर अपने परिवार की खुशियाँ छीन लेते हैं । अत: इसे हँसी-खुशी ढंग से ही मनाया जाना चाहिए तभी यह हमें आंतरिक खुशी प्रदान कर सकेगा ।

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sehaj0001: Thnx for mark as brainliest
mahising1985: welcome
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sehaj0001: @sapp
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