Hindi, asked by moreg1425, 2 months ago

बहुत से मनुष्य सोच सोच कर कि हमें कभी सफलता नहीं मिलेगी देव हमारे विपरीत हैं अपनी सफलता को अपने ही हाथों पीछे धकेल देने देखते हैं उसका मानसिक भाव सफलता और विजय के अनुकूलन बनता है ही नहीं तो सफलता और विजय कहा यदि हमारे मन अंशिका निराशा से भरा है तो हमारे कामों का परिचय भी निराशाजनक ही होगा क्योंकि सफलता के पीछे की उन्नति की कुंजी तो आता ही है ( इस गद्यांश का अर्थ अपने शब्दों में लिखिए)​

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Answered by ponprapanjanprabhu
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बहुत से मनुष्य सोच सोच कर कि हमें कभी सफलता नहीं मिलेगी देव हमारे विपरीत हैं अपनी सफलता को अपने ही हाथों पीछे धकेल देने देखते हैं उसका मानसिक भाव सफलता और विजय के अनुकूलन बनता है ही नहीं तो सफलता और विजय कहा यदि हमारे मन अंशिका निराशा से भरा है तो हमारे कामों का परिचय भी निराशाजनक ही होगा क्योंकि सफलता के पीछे की उन्नति की कुंजी तो आता ही है ( इस गद्यांश का अर्थ अपने शब्दों में लिखिए)

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