Hindi, asked by aditeechauhan92, 5 months ago

बहुत से मनुष्य यह सोच-सोचकर कि हमें कभी सफलता नहीं मिलेगी, दैव हमारे विपरीत है, अपनी सफलताको
अपने ही हाथों पीछे धकेल देते हैं। उनका मानसिक भाव सफलता और विजय के अनुकूल बनता ही नहीं तो सफलता
और विजयकहाँ? यदि हमारा मन शंका और निराशा से भरा है तो हमारे कामों का परिचय भीनिराशा जनकही होगा,
श्न2.
निम्नलिखित गद्यांशको पढ़कर उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
से
क्योंकि सफलता की, विजय की, उन्नति की कुंजी तो अविचल श्रद्धा ही है।
(1)
उपर्युक्त गद्यांश भाषा भारती कक्षा के किस पाठ से लिया गया है?
इस गद्यांशका अर्थ अपने शब्दों में लिखिए-
(1)​

Answers

Answered by sitaramy776
3

Answer:

(1)

Gram panchayat bari me abhi tak jhanda gada hai

Answered by franktheruler
0

दिए गए गद्यांश को पढ़कर निम्न प्रकार से उत्तर दिए गए है

क्योंकि सफलता की, विजय की, उन्नति की कुंजी तो अविचल श्रद्धा ही है।

(1)उपर्युक्त गद्यांश भाषा भारती कक्षा के किस पाठ से लिया गया है?

उपर्युक्त गद्यांश भाषा भारती कक्षा 8 के पाठ 2,

" आत्मविश्वास " से लिया गया है।

( 2) इस गद्यांशका अर्थ अपने शब्दों में लिखिए-

संदर्भ -

दी गई पंक्तियां " आत्मविश्वास " पाठ से ली गई

है जिसके लेखक है श्री प्रभाकर जी

प्रसंग :

लेखक का कहना है कि जब हमारे मन में किसी उद्देश्य को प्राप्त करने की अपनी क्षमता में पूरा विश्वास होता है तब ही हमें सफलता मिलती है।

व्याख्या :

  • लेखक यह बात स्पष्ट कर रहे है कि कुछ लोग यह मानते है कि यह चीज उनके भाग्य में ही नहीं है तो वे उसके लिए प्रयत्न ही नहीं करते , उनकी यह सोच ही उनकी सफलता में बाधा डालती है।
  • निराश न होकर हमें याथसंभव प्रयत्न करते रहना चाहिए। निराश लोग आगे ही नहीं बढ़ पाते इसी कारण असफल होते है।
  • ऐसे लोगों को अपनी क्षमता व योग्यता पर भरोसा नहीं होता, उनमें आत्मविश्वास की कमी होती है।
  • अपनी क्षमता पर अडिग विश्वास व श्रद्धा ही सफलता का रामबाण है।
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