Hindi, asked by dhirajkumar716242, 2 months ago

) भीतर भीतर सब रस चूसै।
हँसि हँसि कै तन मन धन मूसै।
जाहिर बातन मैं अति तेज।
क्यों सखि साजन नहिं अँगरेज।​

Answers

Answered by shishir303
9

भीतर भीतर सब रस चूसै।

हँसि हँसि कै तन मन धन मूसै।

जाहिर बातन मैं अति तेज।

क्यों सखि साजन नहिं अँगरेज।​

भावार्थ ⁝ कवि भारतेंदु हरिश्चंद्र अपनी इस मुकरी के माध्यम तत्कालीन ब्रिटिश सत्ता की अंग्रेज सरकार पर प्रहार करते हुए कहते हैं कि अंग्रेज लोग पहले तरह अब लड़ाई-झगड़े करके भारतीयों का शोषण नही करते बल्कि अब वह हँस-हँस कर मीठे-मीठे बोल बोलकर भारतीयों का शोषण करते हैं। वे मीठी-मीठी बातों का दिखावा करने में बड़े चतुर हैं। सखी! ये अंग्रेजे पुरुष सज्जन कहलाने लायक नही हैं।

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Answered by harshsharma17976
0

भीतर भीतर सब रस चूसै।

हँसि हँसि कै तन मन धन मूसै।

जाहिर बातन मैं अति तेज।

क्यों सखि साजन नहिं अँगरेज।

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