भीड़ के प्रमुख लक्षण क्या है? भीड़ के प्रमुख मनोवैज्ञानिक परिणामों की व्याख्या कीजिए I
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"भीड़ के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं।
एकाकीपन के भावना का एहसास।
व्यक्तिगत स्वतंत्रता में कमी।
आसपास बहुत सारे व्यक्तियों की उपस्थिति के कारण एक भौतिक बंधन का अनुभव होना।
समाज के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण।
समाज की अंतःक्रियाओं पर नियंत्रण का अभाव।
भीड़ के मनोवैज्ञानिक परिणाम निम्न है्ं।
(1) भीड़ का घनत्व जैसे-जैसे बढ़ता जाता है वैसे-वैसे फिर अधिक आक्रामक होती जाती है अर्थात भीड़ की संख्या में कैसे-कैसे बढ़ोतरी होगी उसमें अधिक आक्रामकता आती जाएगी।
(2) भीड़ के कारण कठिन कार्य के निष्पादन स्तर में कमी आने की संभावना होती है। स्मृति और कार्यशीलता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसे नकारात्मक प्रभाव समान्यतः उन लोगों में दिखाई देने लगते हैं जो भीड़ वाले परिवेश का हिस्सा होने के आदी होते हैं।
(3) जो बच्चे भीड़ वाले घर में पैदा होते हैं उनमें अपने कार्य का निष्पादन करने की क्षमता बेहतर होती है। चाहे वो शैक्षिक स्तर पर हो या अन्य किसी स्तर पर। किसी कार्य में असफल होने पर निरंतर प्रयास करते रहने का गुण उनमें विद्यमान रहता है। जबकि जो बच्चे कम भीड़ वाले घर में पैदा होते हैं वह अपने कार्यों का निष्पादन शैक्षिक स्तर पर अन्य स्तर पर बेहतर ढंग से नही कर पाते हैं और किसी कार्य में असफल होनो पर निरंतर प्रयास करने रहने का गुण बहुत कम लोगों मे पाया जाता है।
(4) सामाजिक अंतः क्रिया की प्रकृति भी भीड़ के स्वभाव को प्रभावित करती है। जैसे कि किसी दावत या किसी विवाह समारोह में बहुत सारे लोगों की उपस्थिति भी कोई दबाब उत्पन्न ना करें और उन लोगों द्वारा सकारात्मक सांवेगिक प्रतिक्रियाएं हो। इसके विपरीत किसी राजनीतिक पार्टी के विरोध प्रदर्शन के आयोजन में नकारात्मक सांवेगिक प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं।
(5) व्यक्ति भीड़ के प्रति जो निषेधात्मक भाव प्रदर्शित करता है उसमें भी भिन्नता हो सकती है। इसके लिए दो तरह की सहिष्णुता का उल्लेख किया जा सकता है - भीड़ सहिष्णुता और प्रतिस्पर्धा सहिष्णुता।
भीड़ सहिष्णुता का मतलब कम घनत्व वाली जगह में अधिक लोगों का रहना। जैसे कि किसी छोटे मकान में एक बड़ा परिवार रह रहा है। इस कारण बहुत सारे लोगों के बीच हमेशा रहने के कारण व्यक्ति भीड़ के प्रति अपनी सहिष्णुता विकसित कर लेता है।
प्रतिस्पर्धा सहिष्णुता का मतलब कि कम संसाधनों हो और लोगों की संख्या अधिक हो। इस कारण प्रतिस्पर्धा स्वभाविक है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति अपने अंदर एक प्रतिस्पर्धा सहिष्णुता विकसित कर लेता है ताकि संसाधनों का सब लोग लाभ उठा सकें।
(6) व्यक्तिगत स्थान के रूप में व्यक्ति अपने आसपास एक सुविधाजनक भौतिक स्थान चाहता है । भीड़ की स्थिति में व्यक्तिगत स्थान की संभावना कम हो जाती है इस कारण उसका भीड़ के प्रति निषेधात्मक दृष्टिकोण उत्पन्न हो सकता है।
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