भीड़ में खोया आदमी
१. लेखक कहाँ जा रहे थे?
२. लेखक ने अपने मित्र का क्या परिचय दिया?
३.स्टेशन पर आरक्षण क्यों नहीं हो पाया?
४. यात्रा के दिन लेखक को कैसे अनुभव प्राप्त हुए?
५.लेखक ने दीनानाथ को नौकरी के प्रसंग में क्या परामर्श दिया?
६ रोजगार कार्यालय की दशा का वर्णन कीजिये?
७ लेखक के मित्र ने मकानों की क्या समस्या बताई?
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Answers
भीड़ में खोया आदमी...
१. लेखक कहाँ जा रहे थे?
➲ लेखक अपने करीबी मित्र बाबू श्यामलाकांत की बेटी की शादी समारोह में सम्मिलित होने के लिए हरिद्वार जा रहे थे।
२. लेखक ने अपने मित्र का क्या परिचय दिया?
➲ लेखक ने अपने मित्र का परिचय बाबू श्यामलाकांत के रूप में दिया है. जो सीधे-सादे. परिश्रमी एवं ईमानदार व्यक्ति थे, लेकिन वह निजी जीवन में थोड़े लापरवाह भी थे। आयु में वह लेखक से छोटे थे और उनके घर पर बच्चों की फौज थी।
३.स्टेशन पर आरक्षण क्यों नहीं हो पाया?
➲ स्टेशन पर आरक्षण इसलिए नहीं हो पाया क्योंकि लेखक आरक्षण कराने के लिए यात्रा से 15 दिन पहले जब स्टेशन पर गए तो वहां बहुत लंबी कतार लगी थी। कई घंटे प्रतीक्षा करने के बाद जब लेखक की बारी आई तब पता चला कि किसी भी गाड़ी में जगह नहीं बची। इसी कारण लेखक को आरक्षण नहीं मिल पाया।
४. यात्रा के दिन लेखक को कैसे अनुभव प्राप्त हुए?
➲ यात्रा के दिन लेखक हरिद्वार जाना था और लेखक को आरक्षण भी नहीं मिल पाया था। इसी कारण उन्हें बिना आरक्षण के यात्रा करनी पड़ी। जब गाड़ी प्लेटफार्म पर आयी तो गाड़ी खचाखच भरी हुई थी। प्लेटफार्म पर भी अपार भीड़ थी। किसी तरह एक कुली ने लेखक को खिड़की के रास्ते गाड़ी में चढ़ाया नही तो लेखक की गाड़ी छूट गयी होती। जिस जगह लेखक को गाड़ी बदलनी थी, वहाँ भी भीड़ थी। यहाँ तक की ट्रेन की छत पर तक लोग चढ़े हुए थे।
५. लेखक ने दीनानाथ को नौकरी के प्रसंग में क्या परामर्श दिया?
➲ दीनानाथ की नौकरी के प्रसंग में लेखक ने अपने मित्र श्यामलाकांत को यह परामर्श दिया कि जगह-जगह पर आजकल रोजगार कार्यालय खुल गये हैं। लेखक ने कहा कि श्यामलाकांत के बड़े पुत्र दीनानाथ को नौकरी के लिए उन रोजगार कार्यालयों की सहायता लेनी चाहिए।
६. रोजगार कार्यालय की दशा का वर्णन कीजिये?
➲ रोजगार कार्यालय में आजकल हजारों लोगों के नाम लिखे जाते हैं और उन कार्यालय में अपना नाम पंजीकृत कराने के लिए पूरा दिन लाइन कतार लगानी पड़ती है। रोजगार कार्यालय के कर्मचारी नाम तो पंजीकृत कर लेते हैं लेकिन साथ में यह भी बता देते हैं कि उन्हें जल्दी नौकरी नहीं मिलने वाली क्योंकि उनसे पहले भी कई लोगों के नंबर कतार में लगे हुए हैं।
७. लेखक के मित्र ने मकानों की क्या समस्या बताई?
➲ लेखक के मकानों की समस्या के बारे में बताया कि जब वे दो वर्ष पहले इस शहर में आए थे, तभी से मकान ढूंढ रहे हैं, लेकिन पूरे शहर का जगह-जगह चक्कर काटकर उनके जूते घिस गए, लेकिन उन्हें कोई ढंग का मकान नहीं मिला। आखिरकार हार कर उन्होंने गली के अंदर यह मकान ले लिया था ताकि किसी तरह अपना सर छुपा सकें।
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