भाव भाव स्पष्ट कीजिए या क्षितिज मिलन बन जाता है या पंक्ति सांसों की डोरी
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प्रस्तुत पंक्तियाँ श्री शिवमंगल सिंह सुमन द्वारा रचित कविता हम पंछी उन्मुक्त गगन से ली गयी है। इन पंक्तियों का भाव यह है की पक्षी कहते है की यदि भगवन ने हमे पंख दिए है तो हमे उरने भी दो हमे पिंजरे में बंद रखकर हमारे उड़ान में बढ़ा मत डालो।
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