भावार्थ लिखिए:
नई गलियों के बीच कई नालों के पार कूड़े करकट के ढ़ेरों के बाद बदबू से फटते जाते इस टोले के अंदर खुशबू रचते हैं हाथ खुशबू रचते हैं हाथ!
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Explanation:
खुशबू रचते हैं हाथ।
व्याख्या – कवि कहता है कि इसी तंग गली में पूरे देश की प्रसिद्ध अगरबत्तियाँ बनती हैं। उस गंदे मुहल्ले के गंदे लोग (गरीब लोग) ही केवड़ा, गुलाब, खस और रातरानी की खुशबू वाली अगरबत्तियाँ बनाते हैं। यह एक विडंबना ही है कि दुनिया की सारी खुशबू उन गलियों में बनती है जहाँ दुनिया भर की गंदगी समाई होती है।
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