भाव स्पष्ट कीजिए|
1. रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सुन|
पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून ||
2. कनक-कनक तैं सौ गुनी, मादकता अधिकाइ|
उहि खाए बौराई जग, इहिं पाए बौराइ ||
Hindi Class X SCERT Telangana Ch 10
Answers
प्रस्तुत प्रश्न रहीम जी से लिखागया निति दोहे नामक पाठ से लिखा गया है |यह पाठ दोहे के रूप में लिखागया है|रहीम जी का पूरा नाम है अबदुर्रहीम खान खाना है|वे अकबर के दरबार में नवरत्नों से एक है|उनका जन्म सन १५५६ में और म्रत्यु १६२६ में माना जाता है|आप संस्कट, अरबी और फारसी के विद्वान् थे|रहीम सतसई,बरवै नायिका,भेद,श्रुंगार सोरठा आदि इनके परसुध रचनायें है|इनके दोहे निति परक होते है|बिहारी सतसई इनकी परसिद्ध रचना है|इन्हों ने निति के दोहे द्वारा सागर को गागर में भर ने का प्रयत्न किया
रहीम जी इस दोहे में पानी को जल,इज्जत,एवं चमक तीन अर्थों में प्रयोग करते हुए कहते है|इज्जत के बिना मनुष्य,चमक के बिना माती,जल के बिना चूना निरुपयोगी एवं व्यर्थ है|इसलिए इनकी रक्षा और महत्त्व पर धयान देना चाहिए|
२ कनक शब्द का दो अर्थ बताये है|एक अर्थ है धतुरा और्व्दुसरे का अर्थ स्वर्ण |धतुरा खाने का एक क्षण के बाद नशा चढ़ता है|मानव पागल की तरह व्यवहार करता है|सोना संपत्ति को प्राप्त करने से मानव पागल हो जाता है|
Dear friend -
Here is ur answer
1. रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून|
पानी गए न ऊबरे ,मोती मानुष चून|
=> इस दोहे में रहीम ने पानी को तीन अर्थों में प्रयोग किया है
कभी इस दोहे के माध्यम से यह संदेश देना चाहता है कि हे मानव पानी का दुरुपयोग ना करो पानी की बचत करो लेकिन आज कहां कोई बचत करता है
और दूसरे लाइन का अर्थ है जिस प्रकार इज्जत एक बार चली जाती है तो फिर दोबारा नहीं मिलती उसी प्रकार मोदी का रंग उड़ जाने पर चूने की तरह दोबारा नहीं चढ़ता
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2. कनक कनक ते सौ गुनी ,मादकता अधिकाय |
कोई खाए बौराय जग ,यही पाए बौराय|
=> यहां पहले कनक का मतलब धतूरा है जो कि एक मादक पदार्थ है दूसरे कनक का मतलब है सोना
इसका भावार्थ यह है कि सोने का नशा धतूरे से भी ज्यादा होता है धतूरा खाने के बाद लोग बौरा जाते हैं मतलब नशे में आ जाते हैं परंतु उन्होंने पानी के मात्र से ही लोग बौरा जाते हैं
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