भाव स्पष्ट कीजिए मैं उसका प्रेमी बनूँ नाथ जो
हो मानव के हित समान
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व्याख्या – कवि ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कहता है कि हे प्रभु! मैं उसका (UPBoardSolutions.com) प्रेमी बनूं, जो समान रूप में मनुष्यमात्र को कल्याण करने वाला हो; संसाररूपी जीवन में जो दीर्घकाल तक रहने वाला हो; श्रेष्ठ सौंदर्य से परिपूर्ण और हृदय में सत्य धारण करने वाला हो।
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