भाव स्पष्ट कीजिए पहली कठपुतली सोचने लगी यह कैसी इच्छा मेरे मन में जोगी
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कठपुतली कविता की अंतिम पंक्तियों में कवि भवानी प्रसाद मिश्र ने पहली कठपुतली के मन के असमंजस के भावों को दिखाया है। जब बाकी सभी कठपुतलियाँ पहली कठपुतली की स्वतंत्र होने की बात का समर्थन करती हैं, तो पहली कठपुतली सोच में पड़ जाती है कि क्या वो सही कर रही है? क्या वो इन सबकी स्वतंत्रता की ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ले पाएगी? क्या उसकी इच्छा जायज़ है? अंतिम पंक्तियां उसके इन्हीं मनभावों को समर्पित हैं।
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