भाव स्पष्ट कीजिए -
रूपांतर है सूरज की किरणों का
सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का!
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रूपांतर है सूरज की किरणों का
सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का!
इन पंक्तियों का भाव इस प्रकार है:
कवि का भाव यह है की , फसल को उगाने में केवल मनुष्य का ही परिश्रम और परिणाम नहीं है| कवि को यह भी लगता है की फसल नदियों के पानी का जादू है , मिट्टी का गुण धर्म है , सूर्य की किरणों का तेज है और हवा की थिरकन है |
फसल में सब की मेहनत है जैसे सूर्य की किरणें इसे प्रकाश देती है , अपनी ऊष्मा और ऊर्जा प्रदान करती है, वर्षा का पानी मिलता है , जिससे यह फसलें उत्पन्न होती है| प्रकृति से अपना भोजन प्राप्त करती है और बढ़ती है| हवा उन्हें लहराना सिखाती है तभी उन में बीज बनता है और दोनों के रूप में फसलें प्राप्त होती है|
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