Hindi, asked by ankitkumarsingp8x0ma, 1 year ago

भगत की पुत्र वधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी?

Answers

Answered by vikasbarman272
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भगत की पुत्र वधू उन्हें अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी क्योंकि वे ही भगत के बुढ़ापे का एकमात्र सहारा थीं।

  • उनके जाने के बाद भगत की देखभाल करने वाला कोई और नहीं था।
  • बालगोबिन भगत एक गृहस्थ और साधु थे l वे अपने काम के लिए दूसरों को कष्ट नहीं देना चाहते थे l
  • भगत के परिवार में बेटे और बहू के अलावा कोई नहीं था। बेटे की मौत के बाद उसने बहू को उसके घर भेजने का फैसला किया, लेकिन बहू उसे अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी।
  • वह भगत को उनके बुढ़ापे में अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी। वह उनकी सेवा करना अपना कर्तव्य समझती थी।
  • उसके मुताबिक जब वह बीमार पड़े तो घर में उसे पानी पिलाने और खाना बनाने वाला कोई नहीं था।

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Answered by tiwariakdi
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Answer:

भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले छोड़कर नहीं जाना चाहती थी क्योंकि भगत के बुढ़ापे का वह एकमात्र सहारा थी। उसके चले जाने के बाद भगत की देखभाल करने वाला और कोई नहीं था।

Explanation:

भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले छोड़कर नहीं जाना चाहती थी क्योंकि भगत के बुढ़ापे का वह एकमात्र सहारा थी। उसके चले जाने के बाद भगत की देखभाल करने वाला और कोई नहीं था।

वह उन्हें बढ़ती उम्र में अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी। वह उनकी सेवा करना अपना फर्ज समझती थी। उसके अनुसार बीमार पड़ने पर उन्हें पानी देने वाला और उनके लिए भोजन बनाने वाला घर में कोई नहीं था। इसलिए भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेला छोडना नहीं चाहती थी।

बालगोबिन भगत ने कबीर की वाणी का पालन करते हुए अपने पुत्र के मृत शरीर को फूलों से सजाया और पास में दीपक जलाया। वे स्वयं भी पुत्र के मृत शरीर के पास बैठकर पिया मिलन के गीत गाने लगे। उन्होंने अपनी पुत्रवधू को भी रोने के लिए मना कर दिया था। इससे पता चलता है कि बालगोबिन भगत की कबीर पर अगाध श्रद्धा थी।

बालगोबिन भगत के एकमात्र पुत्र की मृत्यु हो गई थी। उनकी पुत्रवधू की यह इच्छा थी कि वह अपना शेष जीतन भगत जी की सेवा में बिताए। वह उन्हें अकेला छोड़ना नहीं चाहती थी। ... लेकिन उसकी इस इच्छा को बालगोबिन भगत ने पूरा नहीं किया और बेटे के क्रिया-कर्म के उपरांत उसके भाई को यह आदेश दिया कि वह शीघ्र ही उसका पुनर्विवाह कर दे।

वह अपने पुत्र या अपने घर से बंधन बांधकर नहीं रखना चाहते थे। वह अपनी बहू को किसी प्रकार का कष्ट नहीं देना चाहते थे, बल्कि उसके मांग में हमेशा सिंदूर और हंसी खुशी भी देखना चाहते थे। बालगोबिन भगत की मृत्यु भी महात्मा की भांति हुई हुए।

बाल गोविंद भगत को साधु क्यों कहा गया है?

लेखक ने बाल गोबिन भगत को ग्रहस्थ इसलिए कहा है कि क्योंकि भले ही उनकी आदतें साधु-संतों जैसी थीं, लेकिन वह गृहस्थ धर्म का पालन करने वाले व्यक्ति थे। अर्थात उनका एक घर परिवार भी था। उनकी एक उनका एक पुत्र था, पुत्रवधु थी। भले ही वह साधु-संतों जैसी आदते रखते थे लेकिन वह गृहस्थ वाला जीवन भी जीते।

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