Hindi, asked by BrainlyHelper, 1 year ago

भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
cbse class 10 HINDI A question paper 2012)

Answers

Answered by nikitasingh79
273
बालगोबिन भगत मंझलें कद के गोरे चिट्टे व्यक्ति थे, जिनकी आयु ६० वर्ष से अधिक थी। उनके बाल सफ़ेद थे ।वे दाढ़ी तो नहीं रखते थे ,पर उनके चेहरे पर सफेद बाल जगमगाते रहते थे। वे कमर में एक लंगोटी और सिर पर कबीरपंथियों जैसी कनफटी टोपी पहनते थे। सर्दियां आती तो ऊपर से एक काली कमली ओढ़ लेते थे। उनके माथे पर सदा रामानंदी चंदन चमकता था जो नाक के एक छोर से ही औरतों के टीके की तरह शुरू होता था। वे अपने गले में तुलसी की जड़ों की एक बेडौल माला बांधे रहते थे। उनमें साधुओं वाली सारी बातें थी। वे कबीर को ‘साहब’ मानते थे; उन्हीं के गीत गाते रहते थे और उन्हीं के आदेशों पर चलते थे। वे कभी झूठ नहीं बोलते थे और सदा खरा व्यवहार करते थे। हर बात साफ़ साफ़ करते थे किसी से व्यर्थ झगड़ा नहीं करते थे। किसी की चीज़ को कभी छूते तक नहीं थे। वे दूसरों के खेत में शौच तक के लिए नहीं बैठते थे। उनके खेत में जो कुछ पैदा होता था उसे सिर पर रखकर चार कोस दूर कबीरपंथी मठ में ले जाते थे और प्रसाद रूप में जो कुछ मिलता वहीं वापस ले आते थे।
Answered by leelalpandey1
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Answer:

बालगोबिन भगत एक गृहस्थ थे लेकिन उनमें साधु-संन्यासिओं के गुण भी थे | उनका अचार-व्यवहार इतना पवित्र और आदर्शपूर्ण था कि वे गृहस्थ होते हुए भी वास्तव में संन्यासी थे| वे अपने किसी काम के लिए दूसरों को कष्ट नहीं देना चाहते थे | बिना अनुमति के किसी की वस्तु को हाथ नहीं लगाते थे | यहाँ तक कि वे दूसरे के खेत मैं शौच तक न करते| कबीर के आदर्शों को पालन करना उनका धर्म था | वे कभी झूठ नहीं बोलते थे और खरा व्यवहार रखते | खेत में जो कुछ पैदा होता उसे एक कबीरपंथी मठ में ले जाते और उसमें से जो हिस्सा 'प्रसाद' रूप में वापस मिलता, वे उसी से गुज़ारा करते | वे तो अलौकिक संगीत के ऐसे गायक थे कि कबीर के पद उनके कंठ से निकलकर सजीव हो उठते थे | आत्मा परमात्मा पर उनका इतना अटल विश्वास था कि अपने एकमात्र पुत्र की मृत्यु हो जाने पर भी उन्हों ने अपने पुत्रवधू से कहा कि यह रोने का नहीं, बल्कि उत्सव मनाने का समय है| भगतजी का वैराग्य तथा निःस्वार्थ व्यक्तित्व का परिचय इस बात से भी मिलता है जब वे अपने बेटे के श्राद्ध की अवधी पूरी होते ही अपने पुत्रवधू को उसकी पिता के घर भेज दिया तथा उसका दूसरा विवाह कर देने का आदेश दिया |

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