भगत सिंह पर भाषण। speech on bhagat singh in hindi
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सरदार भगतसिंह का नाम देशवासियों के लिए प्रेरणा-स्त्रोत रहा है। जब उनका जन्म हुआ तो उनके पिता सरादर किशन सिंह देश-प्रेम के कारण सरकारी जेल में कैद थे। उनके चाचा सरदार अजीत सिंह को पहले ही देश-निकाला दे दिया गया था।
भगत सिंह का जन्म सितंबर 1907 में लायलपुर जिले के बंगा (अब पाकिस्तान में) ग्राम में हुआ था। भगत सिंह की प्रारम्भिक शिक्षा गाँव में हुई बाद में उन्हें लाहौर पढ़ने भेजा गया था। उनके साथ पढ़ने वालों में सुखदेव भी थे जिन्हें भगत सिंह के साथ ही बमकाण्ड में फांसी पर लटकाया गया था।
भगत सिंह के एक बड़े भाई थे- जगत सिंह। उनकी मृत्यु 11 वर्ष की अल्पायु में ही हो गई थी। भगत सिंह के माता-पिता उनका विवाह करना चाहते थे पर देश की सेवा करने हेतु उन्होंने विवाह करने से इंकार कर दिया। फिर कानपुर में भगत सिंह की भेंट बटुकेश्वर द्त्त से हुई। उन दिनों कानपुर में बाढ़ आई हुई थी तो भगत सिंह ने बाढ़ पीड़ितों की जी-जान से मदद की। यहीं उनकी मुलाकात महान् क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आजाद से हुई।
साइमन कमीशन जब भारत आया तो सबने उसका विरोध कियाथा। भगत सिंह¸ सुखदेव और राजगुरू ने तो जमकर विरोध किया था। इस विरोध में लाला लाजपतराय पर लाठी चार्ज हुआ और वे परलोक सिधार गए जिससे भगत सिंह का रक्त उबलने लगा और उन्होंने सुखदेव एवं राजगूरू के साथ मिलकर ह्त्यारे अंग्रेज सांडर्स को गोलियों से भून डाला। फिर सरदार भगत सिंह और बटुकेश्वर द्त् ने दिल्ली में असेम्बली की दर्शकदीर्घा से बम पेंका। परंतु भगत सिंह और बटुकेश्वर दोनों पकड़े गए। तत्पश्चात् उन्हें लाहौर बमकाण्ड, सांडर्स हत्या और असेम्बली बम काण्ड में फाँसी की सजा सुनाई गई। कहा जाता है कि जेल में भगत सिंह ने 115 दिन भूख हड़ताल की जिसमें यतीन्द्रनाथ दास की भूख बर्दाश्त ने कर पाने के कारण मृत्यु हो गई थी।
फाँसी की सजा होने के बाद भगत सिंह ने कहा था- ‘राष्ट्र के लिए हम फांसी के तख्ते पर लटकने को तैयार हैं। हम अपने लहू से स्वतंत्रता के पौधे को सींच रहे हैं ताकि यह सदैव हरा-भरा बना रहे।’ कॉलेज जीवन में भगत सिंह ने नौजवान भारत सभा की लाहौर में स्थापना की थी।
जेल में सरदार भगत सिंह द्वारा लिखी डायरी में टैगोर¸ वर्ड्सवर्थ¸ टैनीसन¸विक्टर ह्यूगो¸ कार्ल मार्क्र्स¸लेनिन इत्यादि के विचार संगृहित हैं। 7 अक्टूबर 1930 को भगत सिंहसुखदेव और राजगुरू को फाँसी की सजा के अलावा अन्य सात अभियुक्तों को कालापानी की सजा हुई थी।
अंत में अंग्रेज सरकार ने भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू-तीनों क्रांतिकारियों को – 23 मार्च1931 को सायं 7 बजे निर्धारित तिथि से एक दिन पहले फाँसी पर लटका दिया। इस समाचार से पूरे भारतवर्ष में अंग्रेजों के प्रति घृणा और आक्रोश फैल गया। महान क्रांतिकारी सरदार भगत सिंह
सरदार भगतसिंह का नाम देशवासियों के लिए प्रेरणा-स्त्रोत रहा है। जब उनका जन्म हुआ तो उनके पिता सरादर किशन सिंह देश-प्रेम के कारण सरकारी जेल में कैद थे। उनके चाचा सरदार अजीत सिंह को पहले ही देश-निकाला दे दिया गया था।
भगत सिंह का जन्म सितंबर 1907 में लायलपुर जिले के बंगा (अब पाकिस्तान में) ग्राम में हुआ था। भगत सिंह की प्रारम्भिक शिक्षा गाँव में हुई बाद में उन्हें लाहौर पढ़ने भेजा गया था। उनके साथ पढ़ने वालों में सुखदेव भी थे जिन्हें भगत सिंह के साथ ही बमकाण्ड में फांसी पर लटकाया गया था।
भगत सिंह के एक बड़े भाई थे- जगत सिंह। उनकी मृत्यु 11 वर्ष की अल्पायु में ही हो गई थी। भगत सिंह के माता-पिता उनका विवाह करना चाहते थे पर देश की सेवा करने हेतु उन्होंने विवाह करने से इंकार कर दिया। फिर कानपुर में भगत सिंह की भेंट बटुकेश्वर द्त्त से हुई। उन दिनों कानपुर में बाढ़ आई हुई थी तो भगत सिंह ने बाढ़ पीड़ितों की जी-जान से मदद की। यहीं उनकी मुलाकात महान् क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आजाद से हुई।
साइमन कमीशन जब भारत आया तो सबने उसका विरोध कियाथा। भगत सिंह¸ सुखदेव और राजगुरू ने तो जमकर विरोध किया था। इस विरोध में लाला लाजपतराय पर लाठी चार्ज हुआ और वे परलोक सिधार गए जिससे भगत सिंह का रक्त उबलने लगा और उन्होंने सुखदेव एवं राजगूरू के साथ मिलकर ह्त्यारे अंग्रेज सांडर्स को गोलियों से भून डाला। फिर सरदार भगत सिंह और बटुकेश्वर द्त् ने दिल्ली में असेम्बली की दर्शकदीर्घा से बम पेंका। परंतु भगत सिंह और बटुकेश्वर दोनों पकड़े गए। तत्पश्चात् उन्हें लाहौर बमकाण्ड, सांडर्स हत्या और असेम्बली बम काण्ड में फाँसी की सजा सुनाई गई। कहा जाता है कि जेल में भगत सिंह ने 115 दिन भूख हड़ताल की जिसमें यतीन्द्रनाथ दास की भूख बर्दाश्त ने कर पाने के कारण मृत्यु हो गई थी।