भगवान पर पैसा चढ़ाते समय भक्त क्यों हिचकिचा जाता है?
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O भगवान पर पैसा चढ़ाते समय भक्त क्यों हिचकिचा जाता है?
► भगवान पर पैसा चढ़ाते वक्त भक्त इसलिए हिचकिचा जाता है, क्योंकि भक्त के अंदर अहम् का भाव होता है। भक्त यह सोचता है, जो धन वो भगवान के चरणों में चढ़ा रहा है, वह उसने कमाया है, वह तो उसका है। उसके अंदर ‘मैं’ का भाव होता है। वह यह नहीं जानता कि जो भी उसे मिला वह सब प्रभु की कृपा से ही मिला। जिस तरीके से उसे धन प्राप्त हुआ, वो तो प्रभु द्वारा निश्चित किया एक माध्यम था।
दूसरा कारण यह है कि भक्त के अंदर अविश्वास का भाव होता है। भक्त भगवान से कोई मन्नत मांगता है और भगवान के चरणों में कोई भेंट चढ़ाता है, लेकिन उसके मंदिर अविश्वास की भावना भी होती है। वह भगवान से एक प्रकार का लेन-देन करता है कि तुम मेरी मन्नत पूरी करो, मैं तुम्हें भेंट चढ़ाता हूँ। भेंट चढ़ाते समय उसके अंदर यह अविश्वास उत्पन्न हो जाता है कि क्या पता उसकी मन्नत पूरी हो ना हो, कहीं उसका पैसा बेकार ना जाए।
दरअसल भगवान की प्रति भक्ति के लिए निर्मल मन, सच्ची श्रद्धा और दृढ़ विश्वास की आवश्यकता होती है। भगवान के प्रति भक्ति व्यक्त करने में कोई लेन-देन, व्यापार नहीं होता। भगवान अपने भक्त के लिये जो उचित है, वो करते हीं है, लेकिन भक्त इस बात को नही समझ नही पाते वो अपनी बड़ी-बड़ी इच्छाओं में जाल में फंसकर अपने मन में अविश्वास का बीज भी बो लेते हैं, इसी कारण जब भक्त भगवान के चरणों में पैसा चढ़ाता है, तो हिचकिचा जाता है।
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Question:- भगवान पर पैसा चढ़ाते समय भक्त क्यों हिचकिचा जाता है?⤵
Answer:-⤵
भगवान पर पैसा चढ़ाते वक्त भक्त इसलिए हिचकिचा जाता है, क्योंकि भक्त के अंदर अहम् का भाव होता है। भक्त यह सोचता है, जो धन वो भगवान के चरणों में चढ़ा रहा है, वह उसने कमाया है, वह तो उसका है। उसके अंदर 'मैं' का भाव होता है। वह यह नहीं जानता कि जो भी उसे मिला वह सब प्रभु की कृपा से ही मिला।