Bhagavat geeta timirharini tej dayini
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प्रश्न :- ' तिमिर हरिणी तेज: दायणी ' - गीता का अर्थ सहित व्याख्या कीजिए ।
उत्तर:-
' तिमिर हरिणी तेज: दायणी ' - गीता
तिमिर का अर्थ :- अंधकार , अंधेरा , तम ।
हरिणी का अर्थ :- दुर करने वाला, नष्ट करने
वाला ।
तेज़ का अर्थ :- चमक , योग्य , सामर्थ वाला ।
दायणी का अर्थ :- दान करने वाला।
इस पंक्ति का अर्थ है कि जो अंधकार को दूर करता हो, जो अंधकार को नष्ट करता हो। जो एक प्रबल, योग्य, दानी हो। इसका भावार्थ यह है कि जो अंधकार को दूर करता हो वही दूसरी ओर साथ ही एक प्रबल, योग्य , दानी भी हो ।
नोट:- कृपया प्रश्नों को पूर्ण रूप में प्रस्तुत करें । आपके द्वारा पूछा गया प्रश्न अधूरा है।
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